भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की 3 सूचियां आने के बाद अब सभी की नजरें कांग्रेस की लिस्ट पर है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में तय किया गया है कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह को छोड़कर सभी दिग्गज चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि कई दिग्गज क्षत्रप चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं।
दरअसल आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस को भी यह आभास हो गया है कि चुनावी संग्राम उतना आसान नहीं है जितना कमलनाथ और अन्य बड़े क्षत्रप समझ रहे हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान ने भाजपा की तर्ज पर भाजपा की राह पर चलने का मन बना लिया है। कांग्रेस अब अपने दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने की कवायद में जुट गई है। दिल्ली में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पार्टी के दिग्गजों को चुनाव में उतारने का निर्णय लिया गया है। तय किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा को छोड़कर बाकी सभी सीनियर नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाए। हालांकि बताया जा रहा है कि पार्टी के दिग्गज अपने समर्थकों को चुनाव में उतारने की पैरवी कर रहे हैं। हालांकि अंतिम फैसला जल्द ही दिल्ली में होने वाली सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक में लिया जाएगा।
मध्य प्रदेश के चुनावी रण में भाजपा उम्मीदवारों की तीन सूची जारी कर चुकी है। पहली सूची में 39 उम्मीदवारों के नामों का भाजपा ने ऐलान किया था। भाजपा ने इसके जरिए जहां कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से दवाब बनाने की कोशिश की। वहीं इससे लगातार हारने वाली सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार को चुनावी जमावट के लिए पर्याप्त समय भी मिला। दूसरी सूची में पार्टी ने अपने तमाम दिग्गजों मसलन, कैलाश विजयवर्गीय, नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल को मैदान में उतार दिया। हालांकि कांग्रेस में उम्मीदवारों को लेकर अभी मंथन चल रहा है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली में हुई कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में करीब 80 उम्मीदवारों के नामों को तय कर लिया गया है। इसमें 65 विधायक और 15 वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि चुनाव मैदान से सिर्फ राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा को ही बाहर रखा गया है। तय किया गया है कि कमलनाथ, अरुण यादव, सुरेश पचौरी जैसे तमाम वरिष्ठ नेताओं को चुनाव में उतारा जाएगा। कांग्रेस ने सूची तैयार कर सेंट्रल इलेक्शन कमेटी को भेज दी है। कमेटी की बैठक 8 अक्टूबर को होने जा रही है। माना जा रहा है कि श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही कांग्रेस की पहली सूची जारी कर दी जाएगी। बताया जा रहा है कि यदि इसके पहले चुनाव आचार संहित लागू हो गई तो यह सूची पहले भी जारी हो सकती है।
कांग्रेस के कई सीनियर नेता विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने के स्थान पर अपने समर्थकों को मैदान में उतारने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में हुई बैठक में भी कांग्रेस के सीनियर लीडर्स ने संभावित विधानसभा सीटों पर अपने समर्थकों के नामों को ही आगे बढ़ाया है। उधर अरुण यादव विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने से मना कर चुके हैं। हालांकि इसको लेकर कांग्रेस नेत्री शोभा ओझा से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। कांग्रेस का छोटे से लेकर बड़ा कार्यकर्ता चुनाव लड़ने को तैयार है, पार्टी जिसे कहेगी, वह चुनाव मैदान में उतरेगा। वैसे भाजपा घबराई हुई है इसलिए उन्होंने अपने वरिष्ठ नेताओं को टिकट दिया है लेकिन यह हमारे लिए जरूरी नहीं है कि हम भी अपने सीनियर नेताओं को चुनाव में उतारें।
उधर भाजपा ने ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उसने कहा है कि कांग्रेस भगदड़ पार्टी बन गई है। बड़े नेता लगातार चुनाव मैदान से भाग रहे हैं। दिग्विजय सिंह लड़ नहीं रहे। अरुण यादव, तन्खा ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। कमलनाथ, पचौरी का लड़ने का मन नहीं है। सभी को परिणाम पता है। इसलिए चुनावी मैदान में कांग्रेस नेताओं का पलायन जारी है। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ा था। सत्ता में आने के बाद उन्होंने छिंदवाड़ा की एक सीट पर उपचुनाव में वे जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। अरुण यादव को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से मैदान में उतारा गया था लेकिन वे चुनाव हार गए थे।