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Thursday, Dec 7, 2023
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भारत के भविष्य का रास्ता क्या! गांधी या गोडसे

नज़रिया

सोमेश्वर सिंह
भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत ट्विटर से राहुल गांधी का एक कार्टून शेयर किया गया है। जिसमें उन्हें रावण बताया गया है। कार्टून के नीचे कैप्शन लिखा है-“नए जमाने का रावण”। इसी तरह का एक कार्टून 1945 में नारायण आप्टे द्वारा प्रकाशित पत्रिका “अग्रणी” जिसके संपादक गोडसे थे में छपा था। और उसी के 2 साल बाद ही गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। उस कार्टून में महात्मा गांधी को रावण के रूप में दिखाया गया था। जिसमें सरदार पटेल तथा सुभाष चंद्र बोस का भी मुखौटा था। आज वही सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस भारतीय जनता पार्टी के आदर्श बन गए हैं।

महात्मा गांधी की हत्या के बाद भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया था। महात्मा गांधी अक्सर कहा करते थे-” पाप से घृणा करो पापी से नहीं” लेकिन भाजपा इसका उलट कर रही है। व्यक्तिगत घृणा की राजनीति का अंत सिर्फ और सिर्फ विध्वंस या हत्या होता है। इसी घृणा के चलते तीन गांधी-पहले महात्मा गांधी, फिर इंदिरा गांधी और उसके बाद राजीव गांधी शहीद हो चुके हैं। क्या, भारतीय जनता पार्टी अब चौथे गांधी के शहादत की साजिश कर रही है। आज इस खतरे को समझने की जरूरत है। क्योंकि राहुल गांधी शुरू से ही कह रहे हैं कि आज दो विचारधाराओं के बीच संघर्ष है। एक गांधी और दूसरी गोडसे की। गांधी की विचारधारा प्रेम, शांति ,मानवता, करुणा, भाईचारे की है। जबकि गोडसे की विचारधारा सिर्फ नफरत की है।

इतिहास का पुनर्लेखन या फिर से व्याख्या करने से इतिहास नहीं बदल जाता। प्रतिगामी ताकतें सदैव से ऐसा ही करती चली आ रही है। मुझे आपातकाल के बाद का वाकया याद है। उस जमाने में हम कॉलेज के स्टूडेंट थे। जनता पार्टी की सरकार थी। मध्य प्रदेश में वीरेंद्र कुमार सकलेचा मुख्यमंत्री थे। उनके रीवा प्रवास पर छात्र आंदोलन का दमन किया गया। विरोध स्वरूप हम लोग नारा लगाया करते थे-“जे पी तूने हाथ मिलाया गांधी के हत्यारों से” “जो हिटलर की चाल चलेगा, वह हिटलर की मौत मरेगा”। दोनों नारों का निहितार्थ और परिणाम आज आपके सामने है।

महात्मा गांधी के रावण रूपी कार्टून के नीचे संस्कृत में एक महाभारत कालीन वाक्य-“यतो धर्मस्तो जय:” लिखा था। जिसका भावार्थ है जहां धर्म है वहां जय है। महाभारत में यह वाक्य अनेक प्रसंग में 13 मर्तबा आया है। और यही आदर्श वाक्य आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय का है। यद्यपि हिन्दू धर्म क्या है इसकी व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय अनेक न्यायदृष्टान्तों मे कर चुका है। परंतु सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश सरकार मानती कहां है। संसद हो या न्यायपालिका दोनों भारत के संविधान के प्रति जवाबदेह हैं। यदि संसद या सरकार विफल रहती है तो उसे दुरुस्त करने का काम न्यायपालिका का है।

भारत का संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव या फिर नफरत को निषेधित करता है। दुर्भाग्य से आज देश में सब उसके विपरीत चल रहा है। संसद से सड़क तक धार्मिक उन्माद और घृणा फैलाने की पूरी आजादी है। भारत की आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का मसला था। तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समक्ष सरकारी धन से मंदिर के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव आया। नेहरू जी ने साफ मना करते हुए कह दिया धार्मिक या उपासना स्थलों का जीर्णोद्धार करना सरकार का काम नहीं है। यह काम जनता की भागीदारी से होना चाहिए। लेकिन आज सरे आम सरकारी धन से मंदिरों का उन्नयन और निर्माण हो रहा है। नेहरू जी भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर इसीलिए हैं।

आज की तारीख में राहुल गांधी भारतीय जनता पार्टी के नंबर एक दुश्मन है। क्योंकि उन्होंने ऐलान कर दिया है कि भारत में दो विचारधाराओं के बीच लड़ाई है। एक महात्मा गांधी की और दूसरी नाथूराम गोडसे की। दूसरी महत्वपूर्ण बात राहुल गांधी यह कहते हैं कि आज दो हिंदुस्तान है। एक अमीरों का दूसरा गरीबों का। इतनी सीधी सच्ची बात कहने वाला दूसरा कोई नेता नहीं है। आज भारत का लोकतंत्र और संविधान निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। भविष्य में भारत किस रास्ते पर जाएगा। महात्मा गांधी के या गोडसे की। यह भारतीय मतदाताओं के जनादेश पर निर्भर है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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