अरविंद मिश्र
मध्य प्रदेश की हॉट सीटों में एक विंध्य की चुरहट सीट भी है। यहां से दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल लगातार आठवीं बार कांग्रेस उम्मीदवार हैं। अपने पिता स्व.अर्जुन सिंह की इस परंपरागत सीट पर अजय सिंह 1985 से लगातार 6 मर्तबे विधायक चुने गये। हालांकि 2018 में जब प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनी तो पहली बार उन्हें अपनी यह अजेय सीट खोनी पड़ गई। इस बड़े उलटफेर की आशंका न अजय सिंह राहुल भैया को थी और न ही कांग्रेस पार्टी को! हालांकि इस हार के लिए उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी बेवकूफी को जिम्मेदार माना। उन्होंने कहा 2018 के चुनाव में अगर वह कमलनाथ के साथ प्रदेश भर में घूमने की बजाय अपने निर्वाचन क्षेत्र और विंध्य की सीटों पर ध्यान देते तो नतीजे कुछ और होते।
बहरहाल, 2023 के चुनाव में उन्होंने इस बड़ी भूल को सुधार लिया है। हार के बाद पूरे पांच साल वह चुरहट के लोगों से न सिर्फ जुड़े रहे बल्कि सक्रिय भी रहे। चुनाव की तारीख घोषित होने के पहले उन्होंने विंध्य से महाकौशल तक जन आक्रोश रैली की पर उसके बाद उनका पूरा ध्यान अपने प्रभावी इलाके विंध्य पर ही है। उनकी यह रणनीति सफल होती दिख रही है। अपनी निरंतर उपस्थिति से चुरहट ही नहीं रीवा, सीधी, सिंगरौली और सतना जिले की कुछ सीटों पर भी उन्होंने कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ा दी है।
चुरहट में राहुल भैया का चुनाव प्रचार अभियान देखते ही बनता है। उनके समर्थन में प्रदेश के अलग- अलग इलाकों से लोग पहुंच रहे हैं। और उनकी जीत की कामना कर रहे हैं। सीधी जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भदौरिया कहते हैं जो चूक 2018 में हुई वह 2023 में नहीं होने वाली है। इस बार भैया ( अजय सिंह) ने अपनी भूल सुधार ली तो जनता भी अपनी भूल सुधार रही है। 17 नवम्बर को जब मतदान होगा जनता का यह प्यार सबको दिख जायेगा।
भदौरिया जी का दावा अनायास भी नहीं है। चुरहट के लोगों से बातचीत करते ही समझ में आ जाता है कि बीजेपी के मौजूदा विधायक और प्रत्याशी शारदेन्दु तिवारी के लिए यह चुनाव कितना कठिन होने जा रहा है। पांच वर्ष के उनके कार्यकाल को कोई याद भी नहीं रखना चाहता है। अधिकांश लोगों की शिकायत यही थी की विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने जनता से अपना कोई सम्पर्क नहीं रखा। साढे़ तीन साल उनकी पार्टी की सरकार भी रही पर कोई विकास कार्य नहीं हुआ। छोटेमोटे कार्य भी नहीं हुये। बीजेपी प्रत्याशी के प्रति यह असंतोष राहुल भैया को जीत के और करीब ला रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)