अरविंद मिश्र
मध्यप्रदेश की राजनीति में विंध्य का मिजाज अन्य इलाकों से अलग ही रहा है। कभी समाजवादियों के प्रभाव वाला विंध्य अब उस विचारधारा का पोषक नहीं रहा मगर अपने अलग मिजाज की वजह से इसने हर चुनाव में चौंकाया। यहां के लोगों ने लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी को पहला सांसद दिया तो उसी बसपा के सामने अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता को हार का भी मुंह देखना पडा़। यहां उल्टी बयार किस तरह बहती है 2013 और 2018 के विधानसभा नतीजों से भी समझा जा सकता है। वर्ष 13 के चुनाव में जब शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा को मालवा, चंबल, महाकौशल और बुंदेलखंड में शानदार जीत मिली विंध्य कांग्रेस के पक्ष में खड़ा हो गया। और 2018 में जब कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस को अन्य इलाकों में शानदार कामयाबी मिली ,विंध्य ने एक फिर चौंकाते हुए 30 सीटों में से 26 सीटें भाजपा की झोली में डाल दी।
जाहिर है, इस अंचल के मतदाताओं को पढ़ना और समझना बेहद टेढ़ी खीर है। हालांकि कांग्रेस को 2023 के चुनाव में काफी बेहतर करने की उम्मीद है। कई सर्वे रिपोर्ट भी इसका इशारा करते हैं। मगर 18 के नतीजों से हतप्रभ कांग्रेस इस बार विंध्य में किसी तरह की कोई कमी नहीं रखना चाहती है। इसलिए पार्टी के सबसे प्रभावी नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी चुनाव प्रचार में उतार दिया गया है।
राहुल गांधी की पहली सभा पिछले महीने शहडोल जिले के ब्योहारी विधानसभा में हुई थी जबकि दूसरी 10 नवम्बर को सतना में हुई। इसके एक दिन पहले प्रियंका गांधी ने चित्रकूट और रीवा में चुनावी सभाएं की। दोनों के भाषण काफी प्रभावी रहे। प्रियंका ने कांग्रेस की गारंटियां गिनाने के साथ महंगाई का मुद्दा उठाते हुए महिलाओं को आकर्षित करने की कोशिश की। उन्होंने शिवराज सिंह की लाड़ली बहना योजना को भी वोट लेने का हथकंडा बता दिया। उन्होंने कहा अगर मुख्यमंत्री को अपनी बहनों की इतनी ही चिंता थी तो ठीक चुनाव से पहले इसकी घोषणा क्यों की गई? 18 सालों तक तो उन्होंने ही सरकार चलाई तब उन्हें आपकी याद क्यों नहीं आई? मंहगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर प्रियंका ने महिलाओं और युवाओं को साधने की भरपूर कोशिश की।
दूसरी तरफ राहुल गांधी के निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे। सतना के बीटीआई मैदान में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा प्रधानमंत्री हर जगह खुद को पिछड़ा वर्ग का बताते थे। जबसे हमने जाति जनगणना कराने का वायदा किया है प्रधानमंत्री कहने लगे हैं देश में कोई जाति ही नहीं है सिर्फ एक जाति है गरीबी। असल में उनके पास कोई जवाब नहीं है। वह जाति जनगणना कराने से डर रहे हैं। उनकी पोल खुल जायेगी। खुद दो से तीन करोड़ का सूट पहनते हैं, हजारों करोड़ के हवाई जहाज में चलते हैं। कहते हैं मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग की सरकार है, यह पिछड़ा वर्ग की सरकार है! इसे चुने हुए विधायक नहीं 57 ब्युरोक्रेट चलाते हैं। यही मिलकर प्रदेश का बजट खर्च करते हैं। इन 57 अफसरों में ओबीसी वर्ग का सिर्फ 1 अफसर है। उन्होंने कहा जाति जनगणना जरुरी है, जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी। अगर हमारी सरकार बनी तो प्रदेश में हम यह काम करके दिखायेंगे। विंध्य में पिछड़ा, दलित और आदिवासियों की बड़ी तादाद है। अगर जाति जनगणना का राहुल का यह तीर चल गया तो यहां के नतीजे एक फिर चौंकायेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)