भोपाल (देसराग)। वित्तीय साल-2021-22 की समाप्ति के अंतिम माह यानि मार्च-2022 में प्रदेश के आधे सरकारी कर्मचारियों के लिए आर्थिक रुप से भारी पड़ने वाला है। इसकी वजह है उनके सामने वेतन का संकट। इस वेतन संकट की वजह बन रहा है ईएसएस (एम्प्लाई सेल्फ सर्विसेस) डेटाबेस मॉड्यूल सिस्टम। दरअसल सिस्टम में कर्मचारियों को ही अपनी पूरी जानकारी अपडेट करनी थी, लेकिन अब तक आधे से अधिक कर्मचारियों की जानकारी अपडेट ही नहीं हो सकी है, जिसकी वजह से उनका वेतन अटकना तय हो गया है। यह बात अलग है कि इसके लिए वित्त विभाग और कलेक्टरों द्वारा लगातार निर्देश दिए जा रहे थे।
इसके बाद भी प्रदेश के लाखों कर्मचारियों का ईएसएस (एम्प्लाई सेल्फ सर्विसेस) डेटाबेस मॉड्यूल पूरी तरह से अपडेट नहीं हो सका है। इसकी वजह से अब लाखों कर्मचारियों का फरवरी माह का वेतन अटक जाएगा। वित्त विभाग के आदेश की वजह से तमाम विभागों के आहरण संवितरण अधिकारी (डीडीओ) की भी कर्मचरियों की वेतन रोकने की मजबूरी बन गई है। वित्त विभाग द्वारा सभी विभागों के कर्मचारियों से ईएसएस डेटाबेस मॉड्यूल में अपनी जानकारी 28 फरवरी तक भरने को कहा गया था। इसके बाद भी कर्मचारियों द्वारा इसमें रुचि नहीं ली गई, जिसकी वजह से कर्मचारी ईएसएस माड्यूल पर जानकारी अपडेट नहीं हो सकी। इस मामले में वित्त विभाग के अफसरों का कहना है कि कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में दर्ज जानकारी तथा ईएसएस प्रोफाइल डाटाबेस में दर्ज ऑनलाइन जानकारी में एकरूपता होना आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं होता है तो उनका वेतन रुका रहेगा। खास बात यह है कि ईएसएस प्रोफाइल में दर्ज जानकारी को अधिकारी तथा कर्मचारी स्वयं के लॉगिन पासवर्ड से देख सकते हैं और अगर उन्हें लगता है कि उसमें कुछ सुधार किया जाना है तो संबधित कर्मचारी कार्यालय प्रमुख के लॉगिन से उसमें सुधार करा सकते हें। इसमें कर्मचारी को भविष्य निधि भुगतान के लिए नामित व्यक्ति की जानकारी भी दर्ज करानी है, जिससे शासकीय सेवक के सेवानिवृत्त होते समय पेंशन प्रकरण तैयार करने में किसी तरह की परेशानी न हो। इस मामले में एक कर्मचारी नेता का कहना है कि इस साफ्टवेयर के आने से काम पेपरलेस हो गया है। इसमें डाटाबेस अपडेट होने पर कर्मचारियों को पे फिक्सेशन, सेवानिवृत्ति के समय पेंशन सुविधा सिंगल क्लिक पर मिल सकेगी। इसके बाद भी विभाग के कुछ कर्मचारी रूचि नहीं ले रहे हैं, जिसकी वजह से डाटा अपडेट होने में देरी हो रही है।
मंत्रालय में भी यही स्थिति
मंत्रालय की ट्रेजरी में 51 फीसदी अधिकारियों व कर्मचारियों का अब तक डाटाबेस अपडेट नहीं हुआ है। जबकि विंध्याचल ट्रेजरी में 42 फीसदी कर्मचारियों का डाटाबेस अपडेट नहीं हुआ है। जबकि भोपाल ट्रेजरी में 39 फीसदी कर्मचारियों का डाटाबेस अपडेट का काम अटका हुआ है। इस मामले में अगर जिलों की स्थिति देखें तो सर्वाधिक खराब स्थिति सीधी में बनी हुई है। इस जिले में महज 13 फीसदी ही काम हुआ है। जबकि पूरे प्रदेश में सिर्फ 55 फीसदी कर्मचारियों का डाटा अपडेट किया गया है।
बाबुओं के भरोसे है अपडेशन
वित्त विभाग द्वारा डाटाबेस अपडेशन का काम स्वयं कर्मचारी को दिया गया है , लेकिन विभागों में यह काम बाबूओं के जिम्मे सौंप दिया गया है। इसके लिए कर्मचारियों द्वारा एक फार्म भरकर बाबुओं को थामा दिया जाता है, जिसके बाद वे उस जानकारी को सॉफ्टवेयर में अपडेट करते हैं, जिसकी वजह से देरी हो रही है।
मिलने लगेगा मेडिकल बीमा का लाभ
खास बात यह है कि सॉफ्टवेयर में कर्मचारियों की जानकारी भरते ही उन्हें मेडिकल बीमा का लाभ भी मिलने लगेगा। इस बीमा की राशि पांच व दस लाख रुपए तक है। बीमा में कर्मचारियों के परिवार भी शामिल रहेंगे। कर्मचारी सूत्रों की माने तो डाटा अपडेट होने से सिंगल क्लिक पर काम होने लगेगा। कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के समय उसे सारे भुगतान एक सिंगल क्लिक पर करना संभव हो जाएगा। यही नहीं वेतन बनाने में भी समय नहीं लगेगा । दरअसल अब तक वेतन बनाने का काम बाबुओं द्वारा ही किया जाता है, जिसकी वजह से कई बाबू वेतन व पेंशन बनाते समय भ्रष्टाचार करते हैं, जिसकी वजह से ही बाबुओं द्वारा इस काम में रुचि नहीं ली जा रही है। अगर विभागों के हिसाब से देखें तो डाटाबेस अपडेट करने में स्कूल शिक्षा , महिला बाल विकास विभाग व स्वास्थ्य विभाग सबसे फिसड्डी बने हुए हें।
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