भिंड(देसराग)। भिंड जिले में कलेक्टर की पहल रंग लाई है। अन्य पिछड़ा वर्ग के ऐसे छात्र जिनके माता-पिता के पास पुश्तैनी अथवा स्वयं का मकान नहीं है, वे भी अब पढ़ाई कर सकेंगे।
दरअसल स्कूलों में प्रवेश के लिए छात्र छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य है। जाति प्रमाण पत्र के लिए शर्त यह है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र को उसके माता-पिता को यह प्रमाण देना होता है कि वह स्वयं के अथवा अपने पुश्तैनी मकान में रह रहा है। इस वर्ग के छात्रों के लिए दिक्कत यह थी कि जिनके माता-पिता के पास मकान नहीं है वह जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवा सकते हैं। भिंड कलेक्टर सतीश कुमार ने इस बंधन को खत्म कर दिया है। जिससे इस वर्ग के छात्र छात्राओं को स्कूल में प्रवेश की राह खुल गई है। यह समस्या पिछले कई सालों से आ रही थी। यह मामला भिंड जिले की जिला कांग्रेस की महासचिव ममता मिश्रा कलेक्टर के संज्ञान में लाईं। जिस पर कलेक्टर ने भी माना कि यह गंभीर मामला है।
इस गंभीर मामले का व्यावहारिक हल निकालने के लिए कलेक्टर सतीश कुमार ने तत्काल शासन के उच्च अधिकारियों से चर्चा की और जाति प्रमाण पत्र में रुकावट बन रहे स्वयं अथवा पुश्तैनी मकान की बाध्यता को समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए। अब ओबीसी के बच्चों को बिना किसी रूकावट के स्कूल में जाति प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था तत्काल लागू कर दी गई है।
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