भोपाल (देसराग)। मध्य प्रदेश की कांग्रेस के अंदर खाने में चल रही सियासी खींचतान के बीच मध्य प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है।
एक तरफ जहां उनके संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश भर में दौरे किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर संगठन पर अपनी पकड़ बनाने के लिए नेता प्रतिपक्ष और पार्टी मुखिया में से एक पद छोड़ने का ऐलान करने पर विचार मंथन चल रहा है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद अपने पास रखेंगे तथा मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया की कमान अपने विश्वस्त सहयोगी सज्जन सिंह वर्मा को सौंप देंगे। हालांकि उन्हें यह फैसला लेने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की रजामंदी भी लेना है। सो उनकी यह मुहिम कब परवान चढ़ेगी इसके लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा है।
नाथ-दिग्विजय में बढ़ी दूरियां
राज्य की कांग्रेस में बीते कुछ दिनों से बिखराव नजर आ रहा है, ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रदेश मुखिया कमलनाथ की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से दूरियां बढ़ रही है। इतना ही नहीं, पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी कमलनाथ के मंच पर नजर नहीं आ रहे हैं। राज्य में लगभग डेढ़ साल बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और चुनाव को लेकर कांग्रेस आशान्वित है। उसे इस बात की उम्मीद है कि जनता का इस बार उसे पिछले चुनाव से कहीं ज्यादा साथ मिलेगा और पार्टी की सत्ता में वापसी होगी।
जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करने में जुटे
पार्टी संगठन लगातार जमीनी तैयारियों में जुटा हुआ है। घर चलो घर-घर चलो अभियान चलाया जा रहा है। दूसरी ओर कमलनाथ जिला स्तर पर कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक ढ़ांचे को मजबूत करने के लिए हर संभव जतन कर रहे हैं। इसके लिए राज्य के हर जिले में अपने वफादारों की फौज खड़ी करने के साथ ही विभिन्न प्रकोष्ठों की बैठकें आयोजित कर अपनी जमीन तलाश रहे हैं। इन बैठकों में कमलनाथ साफ संदेश दे रहे हैं कि अगले चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा के संगठन से रहने वाला है, लिहाजा पार्टी को पूरी ताकत से चुनाव लड़ने होंगे। पार्टी के भीतर चल रही खींचतान के बीच कमलनाथ पार्टी में अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाह रहे हैं। यही कारण है कि वह पहले के मुकाबले अब कहीं ज्यादा सक्रिय हैं। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ अगला चुनाव पूरी तरह अपने मुताबिक लड़ना चाहते हैं। वे अपनी रणनीति में किसी भी नेता का दखल नहीं चाहते, यही कारण है कि अब उन्होंने खुद और अपने से जुड़े लोगों को चौतरफा सक्रिय कर दिया है।
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