भोपाल (देसराग)। प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली की जोर पकड़ती मांग के बीच अब प्रदेश सरकार का रुख भी इस मांग को लेकर नरम हो गया है। यही वजह है कि शासन स्तर पर इसको लेकर गुणा भाग लगाया जाने लगा है। दरअसल अब तक जो बात निकल कर सामने आयी है उसके मुताबिक इससे कर्मचारियों के साथ ही सरकार को भी फायदा होता नजर आ रहा है। पुरानी पेंशन बहाली से सरकार को हर साल करीब चार हजार करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी। यानि की हर माह सरकार को 334 करोड़ रुपए का फायदा होगा। यही नहीं कर्मचारी भी खुश हो जाएंगे। पुरानी पेंशन योजना से कर्मचारियों के परिवार के भरण पोषण की गारंटी भी मिल जाएगी। जिसका राजनीतिक लाभ भी भाजपा सरकार को मिल सकेगा। यही वजह है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लपका है। अब तक इस मामले में सत्ता व विपक्ष के करीब डेढ़ सौ विधायक समर्थन में आ चुके हैं। इस मामले में अब सरकार को फैसला भर करना है। माना जा रहा है कि बजट सत्र में शिव सरकार द्वारा पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा की जा सकती है। दरअसल प्रदेश में करीब तीन लाख 35 हजार कर्मचारी पुरानी पेंशन की पात्रता के दायरे में आते हैं। प्रदेश में अंशदाई पेंशन योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारियों में सबसे बड़ी संख्या 2.87 लाख शिक्षकों की है। इनकी नियुक्ति 1995 से 2013 के बीच हुई है। हालांकि 2018 में सरकार ने इन्हें नियमित कर्मचारी के रुप में माना। इनमें से 85 प्रतिशत शिक्षक वर्ष 2032 के बाद 60 साल के होंगे। तब उन्हें पेंशन देना पड़ेगी। शेष 15 प्रतिशत शिक्षक अगले 10 साल में यानि की हर माह औसतन दो सौ की संख्या में सेवानिवृत्त होंगे। सरकार को हर माह उनकी पेंशन पर महज पांच करोड़ यानि की 60 करोड़ सालाना रुपये खर्च करने होंगे। वहीं स्थाईकर्मी 60 साल की उम्र पूरी कर रहे हैं। उनकी सेवानिवृत्ति लगातार होना है, पर उनका वेतन कम है। इसलिए पेंशन नौ से 15 हजार रुपये मासिक बनेगी। यदि सभी 48 हजार स्थाई कर्मियों को भी पेंशन देनी पड़ी, तो छह करोड़ रुपये मासिक खर्च सरकार के खजाने पर आएगा। अंशदाई पेंशन योजना में कर्मचारियों के मूल वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है। जिसमें 14 प्रतिशत सरकार मिलती है। ब्याज सहित कुल जमा राशि का 40 से 60 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त मिल जाता है। शेष से पेंशन मिलती है, जो वर्तमान में पांच सौ से तीन हजार रुपये तक मिल रही है।
यह हैं पुरानी पेंशन से लाभ
एक कर्मचारी (शिक्षक) के खाते में सरकार को हर माह सात हजार रुपये मिलाना पड़ते हैं। यह राशि एक माह में 210 करोड़ रुपये होती है। यानी सालभर में 2520 करोड़ रुपये। 48 हजार स्थाईकर्मी भी इस पेंशन के दायरे में हैं। उनके खाते में सरकार को औसतन 2800 रुपये हर माह जमा करने होते हैं। यह राशि माह में 134 करोड़ और साल में 1608 करोड़ रुपये होती है। पुरानी पेंशन लागू करने पर सरकार को हर माह इस राशि की बचत होगी। यदि पुरानी पेंशन दे दी जाती है, तो सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को मिलने वाले वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलेगी। उसे अपने वेतन से राशि भी नहीं कटवाना पड़ेगी। इतना ही नहीं, ग्रेच्युटी के रुप में लगभग 20 लाख रुपये, जीपीएफ और प्रत्येक छह माह में बढ़ने वाले महंगाई भत्ते का भी लाभ मिलेगा। पेंशनर की मौत होने पर परिजनों को परिवार पेंशन मिलेगी।
क्या कहते हैं कर्मचारी नेता?
इस बाबत आजाद अध्यापक.शिक्षक संघ के अध्यक्ष भरत पटेल का मनना है कि पुरानी पेंशन बहाल किए जाने से कर्मचारी को लाभ होगा, तो सरकार भी फायदे में रहेगी। जहां अभी हर माह 344 करोड़ रुपये पेंशन के अंशदान के रूप में खर्च करने पड़ रहे हैं, वहां 14 साल तक सेवानिवृत्त होने वालों पर सिर्फ 15 करोड़ रुपये सालाना में काम चल जाएगा। जबकि कर्मचारी नेता सुधीर नायक कहते हैं कि नई अंशदाई पेंशन लागू होने के बाद कुछ लोग सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्हें मात्र दो हजार पेंशन मिल रही है। ऐसे में पेंशनर कैसे गुजारा करेगा । सरकार को भी अभी पुरानी पेंशन देने में ही फायदा है।