डॉ प्रमोद कुमार
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अब अंतिम और निर्णायक दौर में है। सातवें चरण से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने दावा किया है कि वे पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगी। इससे पहले मायावती पूरे चुनाव में एक तरह से चुप्पी साधे रहीं। उनकी इस चुप्पी को लेकर राजनीति गलियारों में कई तरह के मायने निकले जा रहे हैं। उनके विरोधी उन्हें भाजपा की बी टीम बता रहे हैं। इसके पीछे मुख्य वजह उनका भाजपा के प्रति लचर रवैया अपनाना है। मायावती मुखर क्यों नहीं हैं? इस बार के चुनाव में वैसे तो मायावती प्रचार करने निकली ही नहीं थीं लेकिन उन्होंने जितना जो कुछ कहा, वह सब सपा औऱ कांग्रेस के खिलाफ ही बोला है।
शुक्रवार को मायावती लखनऊ में थीं। उनसे जब इस उदासीनता को लेकर सवाल पूछा गया तो वे बोली कि वे न तो उदासीन हैं और न ही भाजपा से उनका कोई समझौता हुआ है। बल्कि अपनी कार्यशैली की दम पर मायावती ने कहा कि उनके काम करने का अंदाज ही कुछ अलग है। वे किसी की नकल नहीं करती बल्कि दूसरी पार्टियां ही उनके कामकाज पर नजर रखती हैं और उनकी नकल करती हैं । दरअसल, एक बड़े चैनल के मालिक ने पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा था की उनकी चुप्पी क्या भाजपा को जिताने के लिए है। आखिर चुनाव में बसपा कहां खड़ी नजर आ रही है?
जवाब में मायावती मुखर हो गई और भाजपा तथा सपा को उन्होंने चुनाव की लड़ाई से दूर बताया । मायावती ने कहा जनता इस बार बदलाव चाह रही है और वह भाजपा के काम से तंग आ चुकी है। भाजपा लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई जबकि सपा का कार्यकाल जनता देख चुकी है। अब ऐसे में बसपा एकमात्र विकल्प बनकर उभरेगी। मायावती कह रही है कि विरोधी भले ही उनकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हो लेकिन सच यही है कि वे पिछले 2 सालों से लगातार पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करती रही हैं । इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को सीधे तौर पर चुनाव जीतने का मंत्र दीया है। परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हो, बसपा का वोट स्थाई रूप से पार्टी के साथ है। बसपा के संस्थापक कांशी राम जी ने एक एक कार्यकर्ता को कैडर बेस पर तैयार किया था। पूरे प्रदेश से आए कार्यकर्ताओं ने कोरोना कार्यकाल में मेरे द्वारा बनाई गई रणनीति को चुनाव में क्रियान्वित किया। यही कारण है कि हम ना तो सड़कों पर उतरे और न ही हमने रोड शो किया। इसके पीछे कार्यकर्ताओं की पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता होना है। मायावती ने खुलकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह गैर मुसलिम माफिया को नहीं पकड़ रही है। भाजपा कभी भी बसपा के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाएगी। दरअसल, पूर्वांचल में बसपा का अच्छा जनाधार बताया जाता है। इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ही उन्होंने इस तरह का बयान दिया है। मायावती सरकार गठन में अक्सर समीकरण बदलती रही हैं। वे पिछले कई दफा अपनी उपादेयता साबित कर चुकी हैं। होता दरअसल यह है कि कई बार किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नही मिल पाता है तो छोटे-छोटे दल निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मायावती का अंदाजा कुछ ऐसा ही है। वे जब कुछ सीटें जीत लेती हैं तो खूब बारगेनिंग भी खूब करती हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश में वे ऐसा कर चुकी हैं। इस बार मायावती को लग रहा है कि वे इतनी सीटें तो निकल ही लेंगी की सरकार गठन में उनकी भूमिका निर्णायक हो सकती है।