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Wednesday, Dec 6, 2023
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क्यों है सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वालों का टोटा?

भोपाल (देसराग)। मप्र में सरकार उच्च शिक्षा को बेहतर बनाना चाहती है, लेकिन आलम यह है कि प्रदेश के अधिकांश महाविद्यालयों प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। यही नहीं महाविद्यालयों में प्राचार्य की कमी के साथ ही शिक्षण कर्मियों (टीचिंग स्टाफ) के पद भी बड़ी संख्या में खाली पड़े हुए हैं। महाविद्यालयों में अतिथि विद्वानों से से कक्षाओं में अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। लेकिन नियमित शिक्षण कर्मियों (परमानेंट फैकल्टी) न होने की वजह से विभिन्न प्रोजक्ट और ग्रांट मिलने में महाविद्यालयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू होने के बाद अब भी सरकारी महाविद्यालयों में शिक्षण कर्मियों (टीचिंग स्टाफ) के बड़ी संख्या में पद खाली हैं। हालात यह हैं कि 96 फीसदी यूजी और 84 फीसदी स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्य नहीं हैं। यहां किसी वरिष्ठ प्राध्यापक (सीनियर प्रोफेसर) को प्रभारी बनाकर काम चलाया जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 20 साल से ज्यादा समय से प्रोफेसर्स के प्रमोशन नहीं हुए। इस कारण प्राचार्य के पद रिक्त होते गए।
प्रभारी प्राचार्य कामों में व्यस्त
जानकारी के अनुसार सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्य के 98 पद है। लेकिन इनमें से 83 पद खाली हैं। केवल 15 पर ही प्राचार्य हैं। शेष सभी जगह प्रभारी प्राचार्य हैं। इसी तरह स्नातक महाविद्यालयों में 418 में से 402 पद खाली हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जो वरिष्ठ प्राध्यापक (सीनियर प्रोफेसर) प्रभारी प्राचार्य बना दिए जाते हैं, वे ऑफिशियल कामों में व्यस्त रहते हैं और क्लास नहीं ले पाते। इस वजह से प्रभारी प्राचार्य बनते ही एक प्राध्यापक जरूर कम हो जाता है। इसी के साथ महाविद्यालयों में अब भी तीन हजार प्रोफेसर की कमी है। दो साल पहले सहायक प्राध्यापक के पद भरे गए थे। लेकिन अब भी ढाई हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं जबकि प्राध्यापक के 670 पद खाली हैं।
योग के शिक्षक नहीं
शिक्षकों की कमी से छात्रों को सबसे ज्यादा समस्या योग में हो रही है। योग को बुनियादी पाठ्यक्रम (फाउंडेशन कोर्स) का हिस्सा बनाया गया है। इसके तहत 4.96 लाख छात्र योग पढ़ रहे हैं। योग एवं ध्यान को पढ़ाने वाले शिक्षक ही महाविद्यालयों में उपलब्ध नहीं हैं। व्यावहारिक ज्ञान (प्रेक्टिकल नॉलेज) के लिए छात्रों के सामने यह समस्या खड़ी है कि इसे पढ़ाएगा कौन? इसके सामने आने के बाद खेल शिक्षक (स्पोर्ट्स टीचर) को यह जिम्मेदारी दी गई है। अधिकांश सरकारी महाविद्यालयों में विशेषज्ञ शिक्षक नहीं हैं।
सरकारी महाविद्यालयों की स्थिति
प्रदेश में स्नातकोत्तर प्राचार्य के 98 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 15 पद भरे हुए हैं, जबकि 83 पद खाली हैं। इसी तरह स्नातक प्राचार्य के 418 पदों में से 402 पद खाली हैं। प्राध्यापक के 850 पदों में से 670 पद खाली हैं। सहायक प्राध्यापक के 9062 पद में से 2562 पद खाली हैं। पुस्तकालय अध्यक्ष (लाइब्रेरियन) के 487 में 200 पद खाली हैं। खेल अधिकारी (स्पोर्ट्स आफिसर) के 447 पदों में से 196 और रजिस्ट्रार के 45 में से 42 पद खाली हैं।

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