भोपाल (देसराग)। मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में उपाध्यक्ष पद का भी चुनाव कराया जाएगा, क्योंकि विधानसभा उपाध्यक्ष का पद पिछले दो साल से खाली पड़ा है। हमेशा की तरह उपाध्यक्ष का पद परंपरा के अनुसार विपक्ष को ही दिया जाता है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या शिवराज सरकार यह पद कांग्रेस को देकर परंपरा निभाएगी या नहीं। इससे पहले 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ सरकार ने इस परंपरा को तोड़ दिया था। जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ का कहना है कि, वे विधायक दल से इस को लेकर चर्चा करेंगे, हालांकि मामले में भाजपा के नेता चुप्पी साधे हुए हैं।
कांग्रेस ने तोड़ी परंपरा
विधानसभा में सर्वदलीय बैठक के बाद जब उपाध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर जब संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा से सवाल किया गया, तो उन्होंने इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ का कहना है कि, वे उपाध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस विधायक दल से चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि, विधानसभा का उपाध्यक्ष पद विपक्ष को न दिए जाने की परंपरा किसने तोड़ी हमने तोड़ी या भाजपा ने उस विषय पर जाने की जरूरत नहीं है। हालांकि भाजपा ने उपाध्यक्ष पद को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भाजपा उपाध्यक्ष पद अपने ही पास रखेगी। इसको लेकर भाजपा कहती आई है कि कांग्रेस विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने की परंपरा तोड़ चुकी है।
क्या है उपाध्यक्ष पद का विवाद
उपाध्यक्ष पद को लेकर विवाद की शुरुआत 2019 में उस वक्त हुई थी, जब भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए विजय शाह को खड़ा किया था। इसके बाद कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद परंपरा अनुसार, मुख्य विपक्षी दल भाजपा को ना देते हुए अपने पास रखा था और पार्टी की हिना कावरे को उपाध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि बाद में भाजपा के सत्ता में आने के बाद पिछले दो सालों से यह पद खाली है। अब 7 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र में इसको लेकर निर्णय लिया जाएगा। वैसे संसदीय कार्य मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस ने जो परंपरा शुरू की थी, उसे हम निभाएंगे, हो सकता है, भाजपा अब यह पद कांग्रेस को ना दे।