भोपाल (देसराग)। मध्यप्रदेश में कांग्रेस में ” ऑल इज वेल” की बातें भले ही कही जा रही हैं, लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी एक ऐसे मुहाने पर खड़ी है, जहां “विभाजन और बिखराव” की इबारत लिखने के लिए उसके अपने ही क्षत्रप तलवार भांज रहे हैं। जी हां यह हम नहीं कह रहे, बल्कि मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष अर्चना जायसवाल का वह वायरल हो रहा वीडियो कह रहा है, जिसमें कैसे रातों-रात उन्हें अध्यक्ष की आसंदी बेदखल किया गया।
अर्चना जायसवाल जिस तरह अपने मन की पीड़ा वायरल हो रहे वीडियो में बता रही हैं, उससे इतना तो साफ समझा जा सकता है कि वह अब मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया कमलनाथ से आर-पार के मूड में आ गई हैं। उन्होंने सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन घुमा-फिरा कर प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व यानि कमलनाथ पर निशाना साधा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने विभा पटेल को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है, उनके पदभार ग्रहण करने के फौरन बाद ही तत्कालीन अध्यक्ष अर्चना जायसवाल के बगावती सुर सामने आने लगे हैं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस को ना छोड़ने की बात कही है, लेकिन यह भी कहा है कि वह अपनी बात पार्टी आलाकमान के सामने जरूर रखेंगी। वायरल हो रहे वीडियो में उन्होंने अपनी बात रखते हुए महिला कांग्रेस में विभा पटेल की नियुक्ति के पीछे अन्य पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को साधने की रणनीति बताई है। लेकिन 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महिला कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष अर्चना जायसवाल के बगावती सुर कांग्रेस के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर सकते हैं।
अव्वल तो अर्चना जायसवाल कलचुरी समाज से आती हैं, अलबत्ता जिस तरह वह वायरल हो रहे वीडियो में समाज की दुहाई जिस तरह वह अपने आपको सियासत के बाजीगरों द्वारा शहीद किया जाना साबित करने की कोशिश करते हुए पार्टी नेतृत्व को ललकार लगा रही हैं, उससे यह तो साफ जाहिर हो रहा है कि उनकी बगावत पार्टी को इस समाज से दूर भी कर सकती है। उन्होंने जिस अंदाज में अपनी पीड़ा जाहिर की है, उससे तो यही लगता है, उन्हें दबाव में काम ना करने की सजा मिली है। पूर्व अध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने हाल ही में नियुक्त महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल को भी नसीहत दी है कि वह कठपुतली बनकर काम ना करें।
ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पार्टी के संगठनों के अध्यक्षों को पार्टी के बड़े नेताओं के इशारों पर काम करना पड़ता है? बकौल अर्चना जायसवाल उन्होंने पार्टी के लिए ही काम किया है और आगे भी पार्टी के लिए ही काम करती रहेंगी। उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिली, उन्होंने उसे बखूबी अंजाम दिया। बहरहाल अर्चना जायसवाल ने दिल्ली में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के सामने अपनी बात रखने की बात कही है। कांग्रेस के भीतरखाने में इसे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को चुनौती देना माना जा रहा है। बहरहाल नई अध्यक्ष की नियुक्ति के तत्काल बाद पूर्व अध्यक्ष का इस तरह खुलकर बयान बाजी करना साफ करता है कि भीतरी खींचतान में उलझी कांग्रेस आने वाले चुनाव में भाजपा से कैसे मुकाबला करेगी। अर्चना जायसवाल की मानें तो वह कभी किसी नेता की पिछलग्गू नहीं रहीं, उन्होंने हमेशा कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया है और शायद यही वजह रही कि उन्हें यह सजा मिली।