भोपाल (देसराग)। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में
राज्यपाल मंगुभाई पटेल के अभिभाषण के बहिष्कार वाले पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के ट्वीट ने प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी है। एक तरफ विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इसे सदन की अवमानना माना और अब फ्लोर पर इसका परीक्षण करके आगे की कार्रवाई करने की बात कही है। वही दूसरी तरफ इस पूरे घटनाक्रम पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और कांग्रेस के किनारा करने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान और संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उनकी तारीफ की है।वही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी जीतू के बयान का विरोध किया है।
दरअसल, आज सुबह सोशल मीडिया पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार की बात कही थी। ट्वीट के वायरल होते ही इस मामले को संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गंभीरता से लिया और सदन में आपत्ति दर्ज कराते हुए पूछा कि आखिर पटवारी को अभिभाषण कैसे मिला? नेता प्रतिपक्ष को जवाब देना चाहिए। इस पर कमलनाथ ने उनकी आपत्ति का समर्थन किया और कहा अभिभाषण का बहिष्कार पार्टी का फैसला नहीं है। कोई भी सदन हो, उसकी गरिमा बनी रहनी चाहिए।दलों की राजनीति से ऊपर उठकर दिए गए इस कमलनाथ के इस बयान पर सीएम शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा ने उनकी तारीफ की।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा की अपनी गरिमामय परंपरा रही है और महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सब सम्मान के साथ सुनते रहे हैं। आज केवल मीडिया में छपने, अलग दिखने और सस्ती पब्लिसिटी के लिए ट्वीट से बहिष्कार हो रहा है।ट्वीट से बहिष्कार क्या है! क्या सोशल मीडिया पर ही सब कुछ होगा? क्या सदन की गरिमा को खण्डित और मध्यप्रदेश की गौरवशाली परंपरा को ध्वस्त कर दिया जायेगा? हमारे संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा जी ने इस मामले को उठाया है। ऐसे कदाचरण पर आसंदी फैसला करेगी। मैं आभारी हूं और धन्यवाद देता हूं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ जी का जिन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कहा कि ये गलत परंपरा है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा है कि राज्यपाल के अभिभाषण से जुड़े विषय पर मैं नेता प्रतिपक्ष
कमलनाथ जी को संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते इन परंपराओं का निर्वहन करने के लिए बधाई देता हूं। आशा करता हूं कि महज चर्चाओं में बने रहने के लिए सदन की परंपराओं को तोड़ने वालों पर वे ऐसी कार्रवाई करेंगे जो नजीर बन जाए।किसी भी विधानसभा की प्रक्रियाएं व परंपराएं ही उसके सम्मान व गरिमा का निर्माण करती हैं। पक्ष और विपक्ष के सामूहिक प्रयासों से ही मध्यप्रदेश विधानसभा का देश भर में एक अलग स्थान बन पाया है।
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