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Monday, Oct 2, 2023
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मप्र के 37 जिलों में नहीं है “मनरेगा लोकपाल”!

अटक सकता है मनरेगा का 4 हजार करोड़
भोपाल (देसराग)। केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए उन राज्यों को लेबर बजट नहीं देगी, जिनके योजना के अमल वाले 80 प्रतिशत जिलों में मनरेगा लोकपाल नियुक्त नहीं हैं। अगर यह नियम लागू हो जाता है तो प्रदेश में मनरेगा का करीब 4 हजार करोड़ रूपए का फंड अटक सकता है।
देश के गांवों और पंचायतों तक में रोजगार उपलब्ध कराने वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में सामने आ रही अनियमितताओं को देखते हुए लोकपाल की नियुक्ति करना अनिवार्य है लेकिन अधिकांश राज्यों ने लोकपाल की नियुक्ति ही नहीं की है। मप्र के 37 जिले ऐसे हैं जहां लोकपाल नहीं हैं। ऐसे में केंद्र मप्र के हिस्से का करीब 4 हजार करोड़ रूपए का फंड रोक सकता है।
मप्र में शीघ्र शुरू होगी लोकपाल की भर्ती
विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रदेश में लोकपाल नियम प्रारूप का प्रकाशन 25 जनवरी 2022 को किया गया है। कैबिनेट से अनुमोदन मिलने के बाद नियमों का अंतिम प्रकाशन होगा। फिर भर्ती होगी। इसमें लगभग 3 महीने लगेंगे।
अभी तक 15 जिलों में ही लोकपाल
केंद्र सरकार ने मनरेगा अन्तर्गत लोकपालों की नियुक्त नहीं करने वाले राज्यों पर सख्ती शुरू कर दी है। इसका असर मध्यप्रदेश में भी पड़ेगा, क्योंकि अभी तक 15 जिलों में ही लोकपाल नियुक्त हुए हैं। ऐसे में अगले वर्ष पहले त्रैमासिक के लिए मिलने वाले 4 हजार करोड़ के बजट पर संकट आ सकता है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने मनरेगा के लिए लोकपाल ऐप लॉन्च करते हुए विभिन्न जिलों में लोकपालों की नियुक्ति नहीं होने पर नाराजगी जताई है। इधर, मप्र के संदर्भ में देखा जाए तो 49 जिलों के प्रकरणों का निराकरण 15 लोकपालों द्वारा किया जा रहा है। अब तक 904 प्रकरण लोकपाल के समक्ष प्रस्तुत हुए हैं, जिसमें से 513 प्रकरणों का निराकरण किया गया है।
लेबर बजट स्वीकृति रोकी जा रही
80 प्रतिशत से कम लोकपाल नियुक्त होने के कारण विभिन्न प्रदेशों की लेबर बजट स्वीकृति रोकी जा रही है। अब तक आगामी वर्ष हेतु किसी भी प्रदेश का लेबर बजट स्वीकृत नहीं किया गया है। इससे 1 अप्रैल से मजदूरी एवं सामग्री के भुगतान का भार राज्य सरकार को उठाना पड़ सकता है। मनरेगा आयुक्त सूफिया फारुखअली का कहना है कि मप्र में गत वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, प्रथम त्रैमास (अप्रैल, मई, जून) में 13 करोड़ मानव दिवस का 2,400 करोड़ रुपए की मजदूरी और 1,600 करोड़ रुपए सामग्री भुगतान की जरूरत होगी। लोकपाल नियुक्त करने की सभी कार्रवाई की जा रही। नियम प्रारूप का प्रकाशन कर दिया है। कैबिनेट में मंजूरी के बाद अंतिम प्रकाशन होगा।

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