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Monday, Oct 2, 2023
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बारिश में लगे करोड़ों पौधे मृत, अब गर्मी में लगाने का चल रहा अभियान!

भोपाल (देसराग)। मध्य प्रदेश वाकई अजब और गजब है। जब पूरे देश में पौधरोपण बंद होता है तब मप्र में पौधरोपण के लिए गर्मी के मौसम में अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश में यह हाल तब है जबकि बीते पांच सालों में हरियाली बढ़ाने के लिए चलाए गए अभियान के तहत करीब 33 करोड़ पौधे रोपे गए लेकिन उनमें से आधे गायब हो चुके हैं।
खास बात यह है कि इस बार अभी चलाए जा रहे पौधरोपण अभियान का जिम्मा कलेक्टरों को दिया गया है। यह अभियान प्रदेश में एक मार्च से शुरू किया गया है जो पांच मार्च तक चला। इस अभियान में प्रशासन द्वारा स्वैच्छिक संगठनों की भी मदद ली गई है। यह अभियान गर्मी के मौसम में शुरू किया गया जिसकी वजह से इस अभियान के शुरू होने से पहले ही सवाल खड़े होने लगे। अब इस मामले में कांग्रेस ने सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। इसकी वजह है बीते सालों में चलाए गए पौधरोपण अभियानों की असफलता।
बीते कुछ सालों में रोपे पौधों की जीवित होने का प्रतिशत देखने से पता चलता है कि पांच साल में वन विभाग और वन विकास निगम ने मिलकर 32 करोड़ 72 लाख 51 हजार 579 पौधे रोपे पर इनमें से आधे ही अब तक बचे हुए हैं। प्रदेश में वर्ष 2017-18 में सबसे ज्यादा सात करोड़ 41 लाख 93 हजार 400 पौधे रोपे गए। इस अभियान को लेकर राज्य सरकार पर कई आरोप भी लगे। वर्ष 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंघार ने बैतूल के जंगल में उतरकर अभियान की हकीकत जानने की कोशिश की थी। उन्होंने सभी जिलों में पौधों की स्थिति की जांच भी कराई थी और मीडिया को बताया था कि 18 प्रतिशत पौधे ही जीवित रहे। इसके बाद या पहले चलाए गए अभियानों की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है।
जानकार बताते हैं कि ताजा स्थिति में पिछले सालों में रोपे गए पौधों में से 50 प्रतिशत से कम जीवित रह पाए हैं। उल्लेखनीय है कि वन विभाग हर साल पौधरोपण करता है और तीन साल तक सतत निगरानी भी। इस दौरान किसी क्षेत्र में पौधों की जीवित रहने का प्रतिशत कम होता है तो संबंधित कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है।
वन विभाग और वन विकास निगम ने इतने रौपे पौधे
वर्ष रोपित पौधे
2016-17 6,40,35,467
2017-18 7,41,93,400
2018-19 7,07,56,363
2019-20 6,27,13,268
2020-21 5,55,53,081
योग 32,72,51,579 (स्रोत: वन विभाग)

जुड़ाव न होना अभियान असफल होने का एक कारण
मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों का भावनात्मक जुड़ाव न होने से भी अभियान असफल हो जाते हैं। वे इसे महज नौकरी मानकर चलते हैं इसलिए पौधों की ठीक से देखरेख नहीं हो पाती और पौधों के मरने का प्रतिशत बढ़ जाता है। हालांकि यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रोज एक पौधा लगाने का अभियान चला रहे हैं।
इनका कहना है
पौधों के जीवित रहने का प्रतिशत अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग है। आमतौर पर 50 से 60 प्रतिशत पौधे जीवित रह पाते हैं। खराब हुए पौधों को बदला भी जाता है और जहां ज्यादा पौधे खराब होते हैं, वहां जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की जाती है।
चितरंजन त्यागी,
पीसीसीएफ (विकास)

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