मुरैना(देसराग)। चंबल के बीहड़ों से राजस्थान के कोटा तक प्रस्तावित अटल प्रोग्रेस वे के निर्माण में 30 हजार से ज्यादा किसानों की जिंदगी दांव पर है। यह वे किसान हैं जिनके पास जमीन का स्वत्व नहीं है लेकिन बीहड़ में सालों से खेती करते आ रहे हैं। अटल प्रोग्रेस वे जद में आ रहे 10 हजार किसानों को तो सरकार जमीन के बदले दो गुना जमीन देने पर तैयार हो गई है लेकिन इन 30 हजार किसानों का क्या होगा, यह अब तक तय नहीं है।
चंबल के बीहड़ों में भिंड जिले के अटेर से मुरैना जिले के पोरसा,अम्बाह, मुरैना, जौरा और सबलगढ़ होते हुए श्योपुर कलां जिले की विजयपुर, श्योपुर कलां तहसीलों से होकर पाली से राजस्थान के कोटा तक जाने वाली अटल प्रोग्रेस वे को बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यह सड़क चंबल नदी से 3 किलोमीटर बीहड़ छोड़कर सिक्स लेन बनाई जाएगी। अटल प्रोग्रेस वे के लिए सड़क के दोनों ओर एक एक किलोमीटर बीहड़ की जमीन कॉरीडोर के लिए आरक्षित रखी जाएगी। भारतमाला परियोजना के तहत प्रस्तावित अटल प्रोग्रेस वे के लिए ऐसे 10 हजार किसान जिनके पास भूमि स्वामी का स्वत्व है, उनकी जमीनें अधिग्रहित की जा रही है। इन किसानों को मध्य प्रदेश सरकार ने जमीन के बदले दो गुना जमीन देने की घोषणा की है।
हाल ही में मुरैना में किसानों के आंदोलन के दबाव के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात के लिए तैयार हो गए हैं कि जो किसान जमीन के बदले 2 गुना जमीन नहीं लेना चाहते हैं उन्हें दोगुना मुआवजा दिया जाएगा। ऐसे में सवाल यह है कि उन हजारों किसान परिवारों का क्या होगा जो पीढ़ियों से सरकारी बीहड़ की जमीन पर खेती करते आ रहे हैं। इस परियोजना योजना के तहत ना तो इनका कब्जा दर्ज किया गया और ना ही उन्हें जमीन के बदले जमीन देने की घोषणा की गई है।
अटल प्रोग्रेस वे को लेकर सरकार की तरफ से तमाम वादे किए जा रहे हैं और कहा यह भी जा रहा है कि इस परियोजना से पूरे चंबल क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर बदल जाएगी। एक हकीकत इस खुशफहमी से इतर भी है। चंबल क्षेत्र के किसानों को इस पूरी परियोजना को लेकर सरकार की मंशा पर संदेह भी है। किसानों को आशंका है कि हाईवे के दोनों ओर बनाए जाने वाले इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को सरकार कॉरपोरेट्स के हवाले करने जा रही है। मध्य प्रदेश किसान सभा की अगुवाई में परियोजना के सवाल पर चल रहे आंदोलन मे किसान मांंग कर रहे है कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की जमीन किसानों को आवंटित किया जाए। किसानों की एक मांग यह भी है कि ऐसे किसान जो जमीन के बदले दोगुनी जमीन ले रहे हैं उन्हें इस जमीन को कृषि योग्य बनाए जाने के लिए खाद बीज कृषि उपकरण आदि के लिए एक लाख प्रति बीघा के हिसाब से आर्थिक सहायता भी दी जाए। साथ ही ऐसे किसान जो दोगुनी जमीन नहीं लेना चाहते हैं उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार बाजार मूल्य से 3 से 5 गुना तक मुआवजा दिया जाए।
ऐसे ही तमाम सवालों को लेकर चंबल के किसान परियोजना पर सवाल उठा रहे हैं। मध्य प्रदेश किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक तिवारी ने बताया इन्हीं सवालों पर किसान 11 से 13 मार्च तक परियोजना से प्रभावित जिलों में चंबल बचाओ बाइक जत्था यात्रा निकालेंगे और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन देंगे। उन्होंने बताया कि किसान एक्सप्रेस वे की विरोधी नहीं है लेकिन सड़क के दोनों ओर बनाए जाने वाले कॉरीडोर में किसानों को जमीन आवंटित की जाए और यहां कृषि आधारित उद्योग लगाए जाएं।
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