भोपाल(देसराग)। तो क्या मध्य प्रदेश सरकार अडानी के 385 करोड़ रुपए माफ करने जा रही है और अडानी इन्हें माफ करवाने के लिए मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार को धमका रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने यह खुलासा करते हुए विधिवत एक बयान जारी किया है।
इस बयान में कहा गया है कि जून 2006 में सिंगरौली जिले के बंधौरा गांव में एस्सार कंपनी ने जल विद्युत परियोजना की शुरुआत की थी। 2013 में उसकी इकाई ने उत्पादन करना भी शुरू कर दिया था। तब कंपनी ने प्रदेश के जल संसाधन विभाग के साथ 71.54 मिलियन घन मीटर पानी वार्षिक देने का अनुबंध किया था। यह पानी रिहन्द जलाशय से दिया जाता है। मगर जुलाई 2016 में पानी की मात्रा घटाकर 46.87 मिलियन घन मीटर करने का अनुरोध किया। दिसंबर 2021 में कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब होने के चलते नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से कंपनी को दिवालिया घोषित करवाकर नवंबर 21 में अडानी ग्रुप को बेच दिया। इसमें कहीं भी जल संसाधन विभाग को पानी के दिए जाने वाले 384.58 करोड़ बकाए का जिक्र नहीं है।
माकपा ने बयान में कहा है कि अडानी ग्रुप अभी भी 26 मिलियन घनमीटर पानी बिना अनुबंध के ले रहा है। अडानी ग्रुप की सीनाजोरी की हालत यह है कि वह सरकार और जल संसाधन विभाग को धमका रहा है कि 26 मिलियन घन मीटर पानी का अनुबंध भी तभी किया जाएगा, अगर जल संसाधन विभाग पहले 385 करोड़ रुपए माफ करेगा। सत्ता के संरक्षण में अडानी ने जल संसाधन विभाग को उक्त भुगतान के लिए अदालत में न जाने की नसीहत देते हुए कहा है कि यदि जल संसाधन विभाग अदालत जाता है, तो अडानी ग्रुप अदालत के निर्णय को स्वीकार नहीं करेगा।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि जल संसाधन विभाग ने भी अडानी ग्रुप के आगे झुकते हुए कहा है कि यदि कंपनी एनसीएलटी के निर्णय का हवाला देकर आवेदन करेगी तो 385 करोड़ रुपए माफ करने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल को भेज दिया जाएगा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि जब आम जनता से पानी और बिजली के फर्जी और जबरिया बिल वसूले जा रहे हैं। उनकी कुर्कियां की जा रही हैं, तब हर घंटे 120 करोड़ रुपए की कमाई वाले कॉरपोरेट घराने से वसूली को माफ कर देना एक बार फिर साबित करेगा कि यह शिवराज जनता की नहीं अंबानी अडानी की सरकार है। माकपा ने जनता के इस राशि को तुरंत वसूलने की मांग की है।