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Monday, Sep 25, 2023
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कभी सिंधिया को “गद्दार” बताने वाले पवैया की “महाराज” के दरबार में हाजिरी!

ग्वालियर (देसराग)। कहते हैं कि राजनीति में कभी कोई स्थाई दुश्मन या मित्र नहीं होता है। राजनीति में अपने मतलब के लिए दोस्त और दुश्मन एक हो जाते हैं। यही कारण है कि जो राजनेता कभी एक दूसरे को शब्दभेदी बाण से गिरने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे, वही वक्त आने पर एक साथ सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। इसी तरह की तस्वीर ग्वालियर में देखने को मिली। यह तस्वीर कांग्रेस के नेता माधवराव सिंधिया की जयंती समारोह में देखने को मिली, जहां सिंधिया परिवार को गद्दार कहने वाले और अपने भाषणों के माध्यम से घेरने वाले कट्टर हिंदूवादी नेता जयभान सिंह पवैया स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती की छतरी पर पहुंचे और उन्हें नमन किया।
कभी सिंधिया परिवार पर साधते थे निशाने
पहली बार सिंधिया परिवार के कार्यक्रम में पहुंचे कट्टर हिंदूवादी और नेता जयभान सिंह पवैया को लेकर सियासत गरमाई हुई है। पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ग्वालियर-चंबल ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में इकलौते ऐसी नेता हैं जो सिंधिया परिवार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। यही वजह है कि जयभान सिंह पवैया कभी भी अपने राजनीतिक जीवन में सिंधिया परिवार की दहलीज नहीं चढ़े हैं। यह वही जयभान सिंह पवैया हैं, जो कभी मंच से कहा करते थे कि किसी परिवार विशेष (सिंधिया परिवार) के श्शान की राख को माथे पर नहीं लगाएंगे। वह माधवराव सिंधिया की जन्म जयंती पर भजन संध्या कार्यक्रम में शामिल हुए और पहली बार छतरी पर पहुंचे।
सिंधिया ने किया आमंत्रित
सिंधिया की दहलीज पर पहली बार पहुंचे पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने सफाई देते हुए कहा कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता की जन्म जयंती थी। उन्होंने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर आमंत्रित किया था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह आज यहां पहुंचे थे। माधवराव सिंधिया एक पुण्य आत्मा थे। उनको आज यहां आकर नमन किया है।
महज दो साल में बौने हो गए बड़े क्षत्रप
भाजपा नेता और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने आज भाजपा में अपने दो साल पूरे कर लिए हैं। इन दो सालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खासतौर पर ग्वालियर-चंबल संभाग में अपनी सक्रियता दिखाई, बल्कि पार्टी में एक बड़े नेता होने का दर्जा भी हासिल कर लिया। सिंधिया इन दिनों ग्वालियर में डेरा डाले हुए हैं। 10 मार्च को ग्वालियर में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की 77 वीं जयंती पर जिस तरह पूरी भाजपा श्रद्धांजलि समारोह में जुटी उसने भविष्य के कई संकेत दे दिए हैं। इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान तो मौजूद रहे ही प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी अपनी आमद दर्ज कराई। स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती पर हर साल श्रद्धांजलि सभा और भजन संध्या का आयोजन होता है, लेकिन इस बार ग्वालियर-चम्बल की सियासत में वजूद रखने वाला भाजपा का हर वह क्षत्रप यहां नजर आया जो गाहै-बगाहै किसी न किसी पद की दौड़ में शामिल है। अब इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया का बढ़ता प्रभाव माने या पार्टी आलाकमान का सिंधिया पर हाथ। आमतौर पर स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती अथवा पुण्यतिथि पर होने वाले किसी भी आयोजन में शामिल होने से भाजपा हमेशा ही हिचकती रही। हालांकि स्वर्गीय सिंधिया इस अंचल के सर्वमान्य नेता थे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में एंट्री के बाद भाजपा ने भी स्वर्गीय माधवराव सिंधिया को अपना नेता मान लिया।
नतमस्तक हुए सरकार और संगठन
कुछ समय पहले तक स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर सिंधिया समर्थक भाजपाई ही नजर आते थे लेकिन इस बार अंचल की सियासत बदली बदली सी नजर आई। यह पहला मौका है जब मुख्यमंत्री सहित उनकी सरकार के मंत्री और ग्वालियर-चंबल अंचल के भाजपा के जिला अध्यक्ष, पूर्व जिला अध्यक्ष, विधायक, पूर्व विधायक और पूर्व सांसद तक इस आयोजन में शामिल हुए। इस मौके पर जुटे भाजपा नेता अपना अपना चेहरा दिखाने की होड़ में थे और लग ही रहा था कि आने वाले समय में होने वाले चुनाव के लिए टिकट के लिए दावेदारी सिंधिया की छतरी पर हो रही हो। इन दो सालों में सिंधिया ने भाजपा में खुद को स्थापित करने के लिए पार्टी में अपना दायरा भी बढ़ाया और कद भी। सरकार में मंत्री पद हों या फिर संगठन में नियुक्तियां, सिंधिया खेमे को तवज्जो ही मिली। पार्टी में जिस तेजी के साथ सिंधिया का कद बढ़ रहा है उससे भाजपा में दबी जुबान से यह स्वर भी उठने लगे हैं कि साल 2023 का चुनाव क्या सिंधिया के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यूपी हो या अन्य राज्य, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाली किसी भी कांग्रेसी नेता को उतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी सिंधिया ने हासिल की है। ऐसे में अगर यह कहा जाए कि आने वाले समय में भाजपा शीर्ष नेतृत्व सिंधिया पर दांव लगाए, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब राज्यसभा सदस्य थे, तब भी वे प्रशासनिक कामकाज में उसी तरह दखल देते थे, जैसे कि आज केंद्रीय मंत्री बनने के बाद वह दे रहे हैं। पिछले दिनों एक उच्च अधिकारी के तबादला आदेश को सिंधिया के कहने पर मुख्यमंत्री को रातों-रात बदलना पड़ा था। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद पार्टी के वही नेता जो दबी जुबान से सिंधिया की एंट्री की मुखालिफत कर रहे थे, वही आज उनके सामने नतमस्तक हैं।
कांग्रेस ले रही चुटकियां
पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को लेकर अब कांग्रेस भी लगातार चुटकियां ले रही है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कट्टर हिंदूवादी और सामंतवाद के खिलाफ लगातार भूलने वाली भाजपा के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया इकलौती ऐसे नेता हैं, जो हमेशा सिंधिया के खिलाफ बोलते रहे हैं। उन्हें गद्दार कहते रहे हैं। ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि जब उन्होंने भी अपने मान सम्मान और हौसलों से समझौता कर लिया। अब तो ऐसा लग रहा है, जैसे सिंधिया के सामने सभी भाजपा के वरिष्ठ नेता हथियार डाल चुके हैं।

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