ग्वालियर (देसराग)। ग्वालियर में जनसंपर्क विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही की कहानियां नई नहीं हैं। इसके किस्से आए दिन सुनाई पड़ते और दिखाई देते रहते हैं। जनसंपर्क विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही से जुड़ा कुछ इसी तरह का एक किस्सा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दो केन्द्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में शहर में हुए कार्यक्रमों में दिखाई दिया। मजेदार बात तो यह है कि जनसम्पर्क विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही की इस इंतहां के साक्षी खुद जिले के मुखिया यानि कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ही नहीं जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट भी बनें।
दरअसल तमाम सरकारी महकमों की तरह मध्य प्रदेश सरकार का भी एक विभाग जनसंपर्क है। इस विभाग का काम यूं तो सरकार की नीतियों और कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार का है, अलबत्ता सीधे औा सपाट शब्दों में कहें तो इस महकमे का मूल काम मुख्यमंत्री की छवि को चमकाना है। यह विभाग इस काम में जुटा भी हुआ है। हाल ही में वायरल हुआ एक वीडियो इसी विभाग की निष्क्रियता, लापरवाही और कारस्तानी को उजागर कर रहा है। यह वीडियो ग्वालियर का है, जिसमें ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह जनसंपर्क विभाग के हुक्मरानों को इस बात के लिए लताड़ लगा रहे हैं कि कैसे जनसंपर्क विभाग के हुक्मरानों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जिला प्रशासन की फजीहत करा दी।
जब मुख्यमंत्री किसी शहर में हों तू प्रशासन का अलर्ट होना स्वाभाविक है। हाल ही में पूर्व केन्द्रीय मंत्री कैलाशवाी माध्वराव सिंधिया की जयंती के अवसर पर ग्वालियर में मुख्यमंत्री का दौरा कार्यक्रम था और इस कार्यक्रम में जनसंपर्क विभाग ने अपने चहेते पत्रकारों की फौज खड़ी कर दी जिससे कार्यक्रम में अव्यवस्था फैल गई। इस वीडियो में कलेक्टर जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों से यह कहते नजर आ रहे हैं कि वह पत्रकारों की सूची जारी क्यों नहीं करते हैं। इसी बातचीत के बीच प्रदेश के जल संसाधन और ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट भी आ जाते हैं। कलेक्टर से शिकायत करते हैं कि जनसंपर्क विभाग इस तरह के कार्यक्रमों को मैनेज नहीं करता है।
यह पहला मौका नहीं नहीं है, हर वीआईपी कार्यक्रम में जनसंपर्क विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही के कारण अव्यवस्था का खामियाजा संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय के मुखिया के पसंदीदा कुछ चुनिन्दा खबरनवीसों को छोड़कर शेष मीडिया जगत और प्रशासनिक हुक्मरानों को भुगतना पड़ा हो। यह सही है कि पत्रकारिता में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण कवरेज के लिए मीडिया संस्थान विशेष कार्यक्रमों में एक से ज्यादा पत्रकारों को भेजते हैं। बात ग्वालियर की हो रही है तो बता दें कि जनसंपर्क विभाग की रीत ही निराली है। विशेष कार्यक्रमों की तो छोड़िए सामान्य कार्यक्रमों के लिए भी अधिमान्य पत्रकारों को तक को सूचना नहीं दी जाती है। हम शब्दों की मर्यादा का पूरा ध्यान रखते हैं लेकिन यहां कहना पड़ेगा कि जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों के “मुंहलगे” पत्रकारों को ही तवज्जो दी जाती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य वीआईपी के कार्यक्रम में प्रशासन की फजीहत हो ना जनसंपर्क विभाग की इसी नादानी का नतीजा है।
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