उज्जैन(देसराग)। प्रतिदिन बाबा महाकाल की पांच आरती होती है। पहली भस्म आरती, दूसरी सुबह की आरती, तीसरी भोग आरती, चौथी शाम की आरती और पांचवी शयन आरती होती है। अब पांचों आरती के समय में परिवर्तन कर दिया जाएगा। यह परिवर्तन होली के बाद होगा। बाबा महाकाल कि आरती में होने वाला बदलाव साल दो बार होता है।
ठंडे जल से होगा बाबा महाकाल का स्नान
इस बार 17 मार्च को होलिका दहन है। परंपरा के अनुसार मंदिर में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से आरती के समय में परिवर्तन होगा और भगवान श्री महाकाल को ठंडे जल से स्रान कराया जाएगा। बाबा महाकाल का गर्म पानी से स्नान कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी रूप चौदस के दिन से शुरू होकर होली के दिन तक चलता है। अब होली के बाद यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा। उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन सबसे पहले मनाने की परम्परा है। इससे पहले संध्या आरती में होली के पर्व से एक दिन पहले बाबा महाकाल के आंगन में पुजारी और श्रद्धालु एक साथ गुलाल उड़ाएंगे। अगले दिन 18 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। मंदिर परिसर में पूर्णिमा पर संध्या आरती के पश्चात विधिवत पूजन-अर्चन एवं गुलाल अर्पित कर होलिका दहन होगा। इसी दिन महाकाल मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा मिलन समारोह एवं फूलों की होली का आयोजन होगा।
बाबा महाकाल की आरती का समय
महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरू ने बताया कि आरती के समय में आधा घंटा समय का परिवर्तन होता है।
प्रथम भस्म आरती- प्रात: 4:00 से 6:00 बजे तक
द्वितीय दद्योदक आरती- प्रात: 7:00 से 7:45 बजे तक
तृतीय भोग आरती-प्रात: 10:00 से 10:45 बजे तक
चतुर्थ संध्याकालीन पूजन – 5:00 से 5:45 बजे तक
पंचम संध्या आरती- 7:00 से 7:45 बजे तक
महाकाल की शयन आरती- रात्रि 10: 30 से 11: 00 बजे तक होगी। भगवान की दिनचर्या में परिवर्तन हो जाता है। संध्याकालीन पूजन सांय 5 बजे से होगा। आरती का यह क्रम आश्विन पूर्णिमा तक रहेगा।
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