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Tuesday, Mar 28, 2023
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रोजगार देने के मामले में मप्र ने मारी बाजी, सर्वाधिक बेरोजगारी राजस्थान में बढ़ी

भोपाल (देसराग)। मध्यप्रदेश देश का ऐसा राज्य बन गया है, जहां पर सर्वाधिक रोजगार दिए गए हैं। इस मामले में मप्र को छठवां स्थान मिला है। यह बात अलग है कि इस मामले में पड़ौसी राज्य छत्तीसगढ़ को तीसरा स्थान दिया गया है। यह दावा न तो हम कर रहे हैं और न ही सरकार का है, बल्कि इसका उल्लेख किया गया है सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट में है। यह रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई है।
बेरोजगारी के मामले में इस रिपोर्ट में सबसे खराब स्थिति राजस्थान की बताई गई है। उसमें कहा गया है कि बेरोजगारी संकट से देश में सबसे अधिक राजस्थान जूझ रहा है। वहां पर बीते माह फरवरी में बेरोजगारी दर बढ़कर 32.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। यानी राज्य में काम करने को तैयार हर 1000 लोगों में से 323 को काम ही नहीं मिला। इसके उलट मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों की संख्या बेहद कम बताई गई है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार की कमी के कारण देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6 महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआइई) की रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी दर फरवरी में बढ़कर 8.1 प्रतिशत हो गई जो जनवरी में 10 महीने के निचले स्तर 6.57 फीसदी पर थी। गांवों में बेरोजगारी दर 2.51 प्रतिशत बढ़कर 8.35 प्रतिशत हो गई जो पिछले 8 महीने का रिकॉर्ड स्तर है।
इसके विपरीत शहरों में बेरोजगारी दर 7.55 प्रतिशत रही जो पिछले चार महीने का सबसे निचला स्तर है। अगर मप्र की बात की जाए तो कोरोना काल के बाद भी प्रदेश में शिव सरकार द्वारा रोजगार के लिए कई तरह के प्रयास किए गए हैं, जिसकी वजह से यह सुखद परिणाम आने शुरू हो गए हैं। दरअसल कोरोना काल में भी सरकार का पूरा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर बना रहा , जिससे रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिली है। इससे अर्थव्यवस्था को भी गति मिली है। एमएसएमई से लेकर उद्योगों तक को फायदा हुआ है। इसके अलावा सरकार द्वारा रोजगार मले आयोजित कर रोजगार दिलाने का भी काम किया जा रहा र्है।
मप्र में इस तरह के किए जा रहे प्रयास
मप्र की सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए आठ तरह के प्रयास एक साथ किए जा रहे हैं। इसके लिए तरह -तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इनमें प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण कामगार सेतु योजना, प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना और मनरेगा प्रमुख रुप से शामिल है। खास बात यह है कि मनरेगा के मामले में तो मप्र देश में पहले स्थान पर चल रहा है। इस योजना के तहत कोरोना काल में 1 करोड़ 6 लाख से ज्यादा जरूरतंद लोगों को रोजगार दिया गया है। 2020-21 में मजदूरों के खातों में 6 हजार करोड़ रुपये पहुंचाए गए थे। 2021-22 में 79 लाख 62 हजार श्रमिकों को रोजगार दिया है। 3,924 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। अनुसूचित जनजाति परिवारों को मनरेगा से रोजगार देने में मध्य प्रदेश देश में अव्वल है। इस योजना की शुरूआत से लेकर अब तक 54 लाख 30 हजार स्थाई परिसम्पत्तियों बनाकर मध्य प्रदेश देश में चौथे स्थान पर है।
सरकार की नजर में यह होता है बेरोजगार
सरकार किसे बेरोजगार मानती है, यह हर राज्य सरकार के नियमों पर निर्भर करता है। कौन बेरोजगार है, इसका अंदाजा सरकारों की ओर से बेरोजगारी भत्ता दिए जाने वाली शर्तों के आधार पर तय किया जा सकता है जो अलग अलग होते हैं। जिन लोगों को सरकार बेरोजगारी भत्ता देती हैं, तो माना जा सकता है कि वो अभी बेरोजगार हैं। वैसे सामान्य तौर पर माना जाता है कि जिन लोगों के पास अभी संगठित और असंगठित क्षेत्र में कोई काम नहीं है और वो पिछले 6 महीने से काम की तलाश कर रहे हैं और फिर भी उन्हें काम नहीं मिला है तो उन्हें बेरोजगार की श्रेणी में गिना जाता है।

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