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Wednesday, Sep 27, 2023
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भोपाल में 6 संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार, जेहादी साहित्य ; लैपटॉप और दस्तावेज बरामद

राजधानी तैयार कर रहे थे स्लीपर सेल

भोपाल (देसराग)। मध्यप्रदेश एटीएस ने पुराने शहर के इलाके से करीब आधा दर्जन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है। मध्यप्रदेश एटीएस ने यह कार्रवाई एक दिन पहले सहारनपुर के देवबंद के खानकाह रोड स्थित दारुल उलूम चौक पर बने एक हॉस्टल से पकड़े गए तीन संदिग्धों से पूछताछ के बाद की है। मध्यप्रदेश एटीएस ने आतंकियों के पास से करीब एक दर्जन लैपटॉप और धार्मिक साहित्य बरामद किया है। आतंकी यहां किराए का मकान लेकर रह रहे थे। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। भोपाल एटीएस ने यह कार्रवाई भोपाल के ऐशबाग, निशातपुरा और अशोकागार्डन इलाके में की है।
प्रारंभिक पूछताछ में इनका बांग्लादेशी होना पाया गया है। जो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिद्दीन (बांग्लादेश) के सदस्य हैं। वे यहां रहकर आतंकी गतिविधियों के लिए स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे। ताकि भविष्य में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा सके। इनमें से दो आतंकी ऐशबाग इलाके की फातिमा मस्जिद के पास किराए से रह रहे थे। इनकी निशानदेही पर करोंद इलाके की खातिजा मस्जिद के करीब एक घर में रह रहे 2 और आतंकियों को पकड़ा गया। हिरासत में लिए गए आतंकियों से भारी मात्रा में जेहादी साहित्य, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं।
इससे पहले मध्य प्रदेश एटीएस को सूचना मिली थी कि भोपाल में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। पड़ताल के बाद शनिवार देर रात 3:30 बजे पुलिस ऐशबाग पहुंची और एक बिल्डिंग में छापा मारा। यहां पुलिस के आने की भनक लगने पर आतंकियों ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। जिसके बाद पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई और वहां से दो लोगों को पकड़ा गया। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी आतंकियों के जमात-ए-मुजाहिद्दीन (बांग्लादेश) से जुड़े होने की पुष्टि की है।
रात तीन बजे घुसी पुलिस, गोली मारकर तोड़ा दरवाजा
ऐशबाग इलाके में देर रात पुलिस के करीबन 50 हथियार बंद पुलिसकर्मी ऐशबाग स्थित एक मकान के पास पहुंचे। उन्होंने गोली चलाकर मकान का दरवाजा तोड़ा। इसके बाद मकान के एक कमरे में रह रहे दो युवकों को दबोच लिया। पुलिस ने कमरे से धार्मिक साहित्य और लैपटॉप बरामद किया है। यह कार्रवाई मध्यप्रदेश एटीएस ने की है। एटीएस ने भोपाल के निशातपुरा इलाके के एक मकान से चार और संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से भी कई लैपटॉप और धार्मिक साहित्य बरामद किए हैं।
नौकरी की तलाश का दिया बहाना
ऐशबाग इलाके में किराए पर रहने वाले एक युवक अपना नाम अहमद और दूसरा मौलाना बताता था। मकान मालकिन बुजुर्ग नायाब के मुताबिक, उनके यहां एक लड़का कम्प्यूटर सुधारने आता था। उसके कहने पर ही उसने दोनों युवकों को किराए पर कमरा दिया था। वे बार-बार उससे उसका आधार कार्ड मांगती रहीं, लेकिन वे हमेशा टाल जाते थे। पिछले दिनों जब फिर आधार कार्ड के लिए कहा गया, तो उसने कहा कि कुछ दिन में हम कमरा खाली करने वाले हैं। सोचा कि अब क्या आधार कार्ड लेना? अब तो वे मकान ही खाली करने वाले हैं। देर रात तेज आवाज आने के बाद उन्होंने बाहर निकलकर देखा तो बाहर खूब सारी पुलिस दिखाई दी। हालांकि भोपाल पुलिस के अधिकारी और पुलिस मुख्यालय के जुड़े तमाम अधिकारी फिलहाल इसको लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। मध्यप्रदेश एटीएस के अधिकारी भी फिलहाल इसको लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
रात 3:30 बजे इलाके में लग गई भीड़
मकान मालकिन नायाब जहां ने बताया कि रात करीब 3.30 बजे होंगे। हम लोग ऊपर कमरे में सो रहे थे। तभी अचानक चलो-चलो की आवाजें आने लगीं। किराएदारों के कमरों में हंगामा हुआ तो बाहर निकलकर देखा। घर के सामने भीड़ लगी थी। मुझे देखते ही पुलिस ने कहा-आप अंदर जाओ। मैंने पूछा-बताओ, हुआ क्या है? पुलिस ने कहा- अंदर जाइए। पानी पीजिए। कुछ नहीं हुआ।
कम्प्यूटर मैकेनिक ने दिलवाया था मकान
मकान मालिक नायाब जहां ने बताया कि इलाके में रहने वाला सलमान कम्प्यूटर मैकेनिक है। करीब तीन महीने पहले उसने अपने परिचित अहमद के लिए मकान किराए पर मांगा। सलमान ने बताया कि अहमद आलिम (धार्मिक शिक्षा) की पढ़ाई कर रहा है। मकान खाली था, इसलिए उसके कहने पर साढ़े तीन हजार रुपए महीने पर मकान दे दिया। अहमद ने किराया हमेशा कैश ही दिया।
आधार कार्ड मांगा तो बहाने बनाने लगा
मकान मालकिन नायाब जहां के मुताबिक, अहमद ने मकान अकेले रहने के लिए किराए पर लिया था। करीब दो सप्ताह बाद अहमद के साथ एक और लड़का रहने लगा। वह मुफ्ती साहब के नाम से मशहूर है। सभी उसे मुफ्ती साहब ही कहते थे। मकान देने के करीब दो सप्ताह बाद अहमद से उसका आधार कार्ड मांगा था। इस पर अहमद ने दो सप्ताह बाद मकान खाली करने की बात कही। दो हफ्ते बाद मकान खाली नहीं होने पर दोबारा आधार मांगा, तब भी उसने आनाकानी कर दी।
सामने आ रहे विरोधाभासी बयान
इस मामले में मकान मालिक और पड़ोसियों के विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं। मकान मालकिन नायाब जहां का कहना है कि दोनों संदिग्ध तीन महीने पहले रहने आए थे। वहीं, पड़ोसन का कहना है कि युवक सालभर से वहां रह रहे थे। पुलिस इस मामले की पड़ताल भी कर रही है।
शांत इलाकों को बनाते हैं ठिकाना
ये बात पहले भी सामने आ चुकी है कि आतंकी ऐसे इलाकों को ठिकाना बनाते हैं, जहां का इलाका शांत होता है। इसके पहले इंदौर, उज्जैन के पास महिदपुर और उन्हैल इलाके से भी सिमी आतंकियों के तार जुड़े थे। इंदौर के करीब जंगल में सिमी आतंकी हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेते थे।
डेढ़ साल से रह रहे थे युवक
पड़ोस में रहने वाली शाहिदा ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकी करीब डेढ़ साल से नायाब जहां के मकान में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि इसी मकान के नजदीक ही एक लड़की भी किराए से रहती थी। संदिग्ध आतंकी इस लड़की को सूखा राशन देते थे। वह इन्हें खाना पका कर देती थी। हालांकि वह 11 महीने पहले मकान खाली करके जा चुकी है।
कई विस्फोटों में शामिल
साल 2005 में बांग्लादेश के 50 शहरों व कस्बों में 300 स्थानों पर करीब 500 बम विस्फोट हुए थे। ये धमाके जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश ने ही कराए थे। साल 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें दो लोग मारे गए थे। साल 2018 में बोधगया में बम ब्लास्ट हुआ था, वो भी इसी संगठन ने किया था। साल 2019 में भारत सरकार ने इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया।

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