भोपाल (देसराग)। भाजपा में संगठन महामंत्री सुहास भगत की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वापसी हो गई। उन्हें भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री के दायित्व से मुक्त कर उनके स्थान पर भाजपा के सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा की पदोन्नति कर पूर्णकालिक संगठन महामंत्री नियुक्त किया गया है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दिए गए फैसले के बाद उन्हें मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) का बौद्धिक प्रमुख बनाया गया है।
सन 2016 में सत्ता और संगठन के बीच उन्हें समन्वय बनाने के लिए प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया था। सुहास भगत को प्रदेश भाजपा में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त करने के पीछे कोई आधिकारिक कारण सामने नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि पिछले काफी समय से से उन्हे सियासत रास नहीं आ रही थी। इसके पीछे की वजह उनकी शिवराज सरकार और संगठन के साथ पटरी नहीं बैठना मानी जा रही है। दोनों के बीच मतभेद इतने गहरा गए थे कि भगत ने खुद को न केवल पीछे कर लिया था, बल्कि संघ के बड़े पदाधिकारियों खास रुप से संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलकर भाजपा से मुक्त किए जाने की इच्छा बीते एक साल पहले ही व्यक्त कर दी थी। उनके इसी फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हितानंद शर्मा को उनके साथ सहयोग के लिए सह संगठन मंत्री के रूप में नियुक्त किया। लंबे समय से हितानंद शर्मा ही अघोषित तौर पर संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अर्थात पिछले काफी समय से सुहास भगत की सत्ता और संगठन से जुड़े मसलों पर औपचारिक भूमिका ही रह गई थी।
भाजपा ने संगठन महामंत्री का पद ना सिर्फ अहम होता है, बल्कि इस पद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा नामित व्यक्ति को ही बैठाया जाता है। जो बतौर संघ प्रतिनिधि कामकाज देखता है। कहने को तो संगठन महामंत्री का काम सत्ता-संगठन और संघ के बीच तालमेल बनाना है, लेकिन इस पद के जरिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संगठन और सरकार पर निगरानी रखता है। बहरहाल इस बदलाव के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
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