भोपाल (देसराग)। मध्य प्रदेश के पेंशनरों के लिए अच्छी खबर है। कर्मचारियों को मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ जल्द मिलेगा। पिछली कमलनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक में पास हुई इस योजना पर कार्यवाही तेज हो गई है।मध्य प्रदेश के वित्त विभाग के पीएस ने स्वास्थ्य विभाग से इस संबंध में दोबारा प्रस्ताव मांगा है। संभावना जताई जा रही है कि इस स्कीम से प्रदेश के करीब 5 लाख सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को जल्द फायदा मिलेगा। इसे फैसले को आगामी चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। यह मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है।
मध्यप्रदेश के रिटायर अधिकारी– कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। मुख्यमंत्री राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य कर्मचारी बीमा योजना का लाभ जल्द दिया जाएगा। 2 साल पहले तत्कालीन कमलनाथ कैबिनेट में पास हुए इस योजना के प्रस्ताव पर शिवराज सरकार में हलचल तेज हो गई है। रिपोर्ट्स की मानें तो हाल ही में हुई बैठक में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस योजना के प्रस्ताव को नए सिरे से तैयार कर भेजने को कहा है। योजना में पेंशनरों को सालाना ओपीडी मरीज के तहत दवाओं के लिए 10000 तक की मदद दी जा सकती है। सर्जरी और दूसरे इलाज के लिए 5 लाख रुपए प्रति परिवार के हिसाब दिए जा सकते है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की इस संबंध में बीमा कंपनी से भी चर्चा हो चुकी है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो इसे जल्द लागू किया जाएगा। इसमें शिवराज सरकार द्वारा कुछ बदलाव भी किए जा सकते है। खास बात ये है कि इस योजना को प्रदेश की आयुष्मान भारत निरामयम सोसाइटी के जरिए संचालित किया जाएगा। इसका लाभ प्रदेश के करीब 5 लाख रिटायर्ड अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलेगा। अभी तक यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में पेंशनरों को फ्री इलाज की सुविधा दी जाती है, लेकिन जल्द एमपी के कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
बता दें कि पिछली कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की थी,इसके तहत साढ़े 12 लाख कर्मचारियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था।वही पेंशनरों को भी लाभ दिया जाना था, लेकिन सरकार के गिरने-बनने में मामला अटक गया, जिसे फिर से शुरू करने की कवायद जारी हो गई है। इस योजना के तहत तय किया गया था कि 10 लाख रुपए तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी और करीब 733.26 करोड़ का सालाना खर्च होगा। 5 लाख रुपए तक साधारण बीमारी के लिए और 10 लाख रुपए तक गंभीर बीमारी में कैशलेस इलाज कराया जा सकेगा।
हालांकि इसमें कर्मचारियों और पेंशनर्स से उनके वेतन बैंड के अनुसार मासिक प्रीमियम जमा करने की शर्त रखी गई थी। इसके तहत कर्मचारियों द्वारा जमा किए गए प्रीमियम से करीब 224.82 करोड़ रुपए मिलेंगे और वर्तमान चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजना को खत्म करने पर 131 करोड़ रुपए की बचत होगी। पिछली बार योजना में प्रीमियम जमा करने वाले कर्मचारियों को इनकम टैक्स में छूट देने का भी प्रावधान रखा गया था, लेकिन इस बार कुछ बदलाव किए जा सकते है।हालांकि क्या नए नियम क्या होंगे, किस तरह से पेंशनरों को इसका लाभ मिलेगा और कब से ये योजना लागू होगी इसकी तस्वीर अभी साफ नहीं है।