भोपाल (देसराग)। प्रदेश के नौकरशाहों की लापरवाही की वजह से प्रदेश की पंचायतों को मिलने वाले अस्सी अरब रुपए की केन्द्रीय अनुदान की राशि दो साल से नहीं मिल पा रही है। दरअसल सूबे के पंचायत एवं ग्रामीण विकास के नौकरशाहों द्वारा पूर्व में केन्द्र सरकार द्वारा दी गई अनुदान राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही केन्द्र सरकार को नहीं भेजा जा रहा है, जिसकी वजह से केन्द्र सरकार द्वारा इस मद में दो सालों से कोई अनुदान ही जारी नहीं किया जा रहा है।
लगभग यही स्थिति खाद्य नागरिक आपूर्ति, कृषि कल्याण तथा सामाजिक न्याय विभागों की भी बनी हुई है। इन विभागों को मिलने वाला करीब 3,373 करोड़ का अनुदान भी अटका हुआ है। प्रदेश में इस तरह के मामलों में अफसरों की लापरवाही का हाल यह है कि प्रदेश के कर्मचारियों के लिए शुरू की गई अंशदायी पेंशन योजना में भी 14.21 करोड़ का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया गया है। इसका खुलासा सीएजी की वार्षिक रिपोर्ट में किया गया है। वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के वित्त लेखे को विस में पटल पर रखा गया। सीएजी की रिपोर्ट में खासकर केंद्र से नहीं मिलने वाले अनुदान का जिक्र किया गया है।
मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 तक 19, 586 उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को नहीं भेजे थे। ये करीब 14 हजार 135 करोड़ से जुड़े कार्यों के हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 18 उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे गए, जो कि 1,406 करोड़ रुपए से जुड़े अनुदान से थे। इसके कारण केंद्र सरकार ने मप्र को अनुदान में मिलने वाले करोड़ो रुपए के फंड पर रोक लगा दी।
कितना अनुदान अटका
राज्य सरकार के नौकरशाहों की लापरवाही के चलत केन्द्र सरकार द्वारा जो राशि रोक कर रखी गई है, उसमें पंचायत एवं ग्रामीण विभाग की 8,711 करोड़, खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग की 2,186 करोड़, सामाजिक न्याय विभाग की 748 करोड़ तथा कृषि कल्याण विभाग की 440 करोड़ रुपये बकाया हैं।
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