भोपाल(देसराग)। दिल्ली में रहकर सियासत के तीर साधने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मध्यप्रदेश में बढ़ती सक्रियता को लेकर भाजपा में चर्चाओं का दौर गर्म है। बीते दो-तीन महीने से सिंधिया भोपाल के साथ ही प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों में जाकर कार्यक्रमों में जोरशोर से भाग ले रहे हैं। भाजपा के बड़े से लेकर छोटे नेताओं से बड़ी आत्मयीता से मिल रहे हैं। इससे पहले तक सिंधिया का ऐसा स्वभाव नहीं देखा गया। उनकी ऐसी सक्रियता देखने को नहीं मिली। इसलिए सियासत के गलियारों में ये चर्चा आम हो गई है कि मध्यप्रदेश में जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा सिंधिया को मुख्य चेहरा बनाएगी। अगर बीजेपी के केंद्रीय आलाकमान ने ये सोच लिया है तो जल्द ही सिंधिया मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दिख सकते हैं।
भाजपा में बढ़ रहा सिंधिया का कद
ग्वालियर में जैन मुनि विहर्ष सागर महाराज ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के जल्द ही मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी। इसके बाद सिंधिया समर्थकों में उल्लास छा गया था। ध्यान देने की बात यह है कि भाजपा में सिंधिया के 2 साल में 4 प्रमोशन हो चुके हैं। जिस तरह से सिंधिया का भाजपा में कद बढ़ रहा है, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सरकार में कोई बड़ा बदलाव करेगी लेकिन जानकार अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि यह राज्य भाजपा ही नहीं, संघ की नर्सरी भी रहा है। ऐसे में इतने बड़े फेरबदल के संकेत फिलहाल तो दिखाई नहीं दे रहे।
समर्थक सरकार और संगठन में फिट
सियासी गतिविधियों पर नजर रखने वाले विश्लेषक बताते हैं कि भाजपा में जो लोग संघ से नहीं होते हैं उन्हें कोई बड़ा पद नहीं मिलता है लेकिन मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्राफ भाजपा में लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वक्त शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक 19 विधायकों में से 11 मंत्री हैं। सिंधिया की ताकत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उनके साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले 6 नेताओं को निगम-मंडल की कमान मिली है। इनमें विधानसभा उपचुनाव हारने वाले भी शामिल हैं।
छोटे नेताओं को तवज्जो
दो साल पहले भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा के बड़े नेताओं के साथ अपने संबंध मजबूत कर लिए हैं। केंद्रीय स्तर पर दिल्ली में वह पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा को भरोसे में ले चुके हैं तो वहीं मध्यप्रदेश में भी वह सभी नेताओं से बार-बार मिल रहे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल आए थे तो उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर भोजन किया था। इसके बाद भी वह भोपाल आकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अक्सर मिलते हैं। इसके साथ ही वह प्रदेश के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन, विष्णुदत्त शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर सहित सभी से लगातार मुलाकातें कर रहे हैं।
अगले साल विधानसभा चुनाव, तभी असली परीक्षा
अभी तो सारी चीजें सिंधिया के अनुसार ही चल रही है। असली पहचान तब होगी, जब अगले साल एमपी में विधानसभा चुनाव होंगे। उस समय पता चलेगा कि इनको कितना वजन भाजपा देती है। साथ ही उस चुनाव के परिणाम पर भी ध्यान देना होगा। अभी तो सिंधिया समर्थक उपचुनाव में जीत गए, लेकिन अगले चुनाव में यह देखना होगा कि क्या सिधिंया अपने समर्थकों को जितनी टिकट कांग्रेस में रहते दिलाते थे उतनी आगे दिला पाएंगे?
संघ और सिंधिया का कनेक्शन?
सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया जनसंघ से रहीं, उनका भी सपना था कि सिंधिया घराने का सदस्य भाजपा में रहे। सिंधिया भाजपा के लिए भीड़ जुटाने वाले नेता साबित हो रहे हैं और युवाओं का आकर्षण सिंधिया की तरफ है। संघ से सिंधिया की करीबियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। सिंधिया भी संघ के दरबार में माथा टेकने नागपुर मुख्यालय जा चुके हैं। भोपाल दौरे के दौरान भी सिंधिया संघ के नेताओं से मुलाकात करते रहे हैं।
गोपाल भार्गव से बढ़ाईं नजदीकियां
कुछ दिन पहले शिवराज सरकार के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के गृहनगर गढाकोटा में सिंधिया पहुंचे। कार्यक्रम में संबोधन के दौरान भार्गव का गला भर आया। वे भावुक हो गए और उन्होंने अपनी बात खत्म कर दी। भार्गव को भावुक देख केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहारा बने। उन्होंने मंच से कहा कि आपका साथ मैं और जनता मिलकर अंतिम सांस तक देने को तैयार रहेंगे। गोपाल जी आपके साथ ज्योतिरादित्य खड़ा है। गौरतलब है कि गोपाल भार्गव बड़े नेता हैं और लगातार मंत्री पद पर हैं।
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