विवेक श्रीवास्तव
ग्वालियर (देसराग)। सियासत की लंबी पारी के लिए क्या भाजपा नेता सिंधिया के लिए “महाराज” की छवि बाधक बन रही है? कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद सिंधिया ने खुद को जिस तरह मौजूदा राजनीति के अनुकूल ढालने की कोशिशें की हैं और कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि सिंधिया राजनीति में लंबी पारी खेलने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस की राजनीति तक “महाराज” रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब खुद को बदल रहे हैं। भाजपा में आने के बाद सियासी परिस्थितियां भी फिलहाल उनके लिए मुफीद हैं।
भाजपा का दामन थामने के बाद से ‘महाराज’ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के ऐसे-ऐसे रूप देखने को मिल रहे हैं, जो कांग्रेस में रहते हुए कभी नहीं दिखे। इन दिनों ‘महाराज’ का ‘मामा’ अवतार नजर आ रहा है। उनके इस बदले हुए मिजाज को देखकर उनके चाहने वाले यह कहने लगे हैं कि क्या महाराज अब शिवराज की राह चल रहे हैं, लेकिन ये सब यूं ही नहीं है। आखिर सिंधिया के मन में क्या चल रहा है? क्या सिंधिया अपनी ‘महाराज’ वाली छवि से बाहर आना चाहते हैं या ऐसा करने के लिए भाजपा आलाकमान की ओर से उन्हें कोई संकेत दिया गया है? शायद इसलिए वो जनता के बीच जाकर उनके दिलों में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ‘राजपथ से जनपथ’ पर चलकर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे हैं। सिंधिया की आए दिन सामने आ रही तस्वीरें तो यही बयां कर रही हैं। इसने दूसरे नेताओं की धड़कनें तेज कर दी हैं, क्योंकि वे मध्य प्रदेश में अगले चुनाव के लिए अहम दावेदार बताए जा रहे हैं।
ग्वालियर में हाल ही में केंद्रीय मंत्री सिंधिया जब झाड़ू हाथ में लेकर सड़कों पर उतरे तो हर कोई उन्हें देख कर चौंक गया। ग्वालियर में ये पहली बार था, जब सिंधिया राजघराने से किसी ‘महाराज’ ने न केवल सड़क पर झाड़ू लगाई। सिंधिया जनता के बीच जा रहे हैं। उनके साथ खड़े हो रहे हैं, बैठ रहे हैं, कभी नाच रहे हैं, कभी गा रहे हैं। ग्वालियर में भी जब सिंधिया कुम्हार के साथ जमीन पर बैठकर चाक चलाने लगे और दीया बनाने लगे तो आश्चर्य नहीं हुआ। ये उनका पब्लिक से सीधे कनेक्ट होने की रणनीति का हिस्सा ही है।
तो क्या महाराज की छवि बाधक
भाजपा में उन्होंने दो साल पूरे कर लिए हैं और इन दो सालों में उन्होंने पार्टी में खुद को सर्वमान्य नेता के रूप में भी स्थापित कर लिया है। इस दौरान उन्होंने खुद को महाराज की छवि से अलग करने की कोशिश भी की है। इस लिहाज से देखें, तो वह ठीक उसी स्टाइल में काम कर रहे हैं जैसा कि जनता के बीच घुल मिल कर काम करने वाला नेता करता है। इन दो सालों में उन्होंने चार प्रमोशन भी पार्टी में ले लिए। सरकार में उनकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके 19 समर्थक विधायकों में से 11 मंत्री हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए 6 पूर्व मंत्रियों को निगम मंडल के अध्यक्ष की पदों की कुर्सी भी मिल गई। भाजपा में जिस तरह सिंधिया का कद लगातार बढ़ रहा है उससे इन अटकलों को हवा मिल रही है कि मध्यप्रदेश में डेढ़ साल बाद होने वाले चुनाव में सिंधिया पार्टी का चेहरा होंगे। हालांकि पार्टी के नेता कई मौकों पर इन अटकलों को खारिज कर चुके हैं कि शिवराज की जगह किसी और को लाया जा रहा है।
पिछले दिनों ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह में पहली बार सिंधिया समर्थकों की जगह भाजपा नजर आई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनकी सरकार के कई मंत्री, भाजपा के कई बड़े नेता और पूर्व मंत्री भी स्वर्गीय सिंधिया को नमन करने पहुंचे। “महाराज” की छवि से इतर सागर में भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव को तवज्जो देना या ग्वालियर में पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को एक कार्यक्रम में पगड़ी पहनाकर सम्मानित करना सिंधिया की भाजपा में लंबी पारी खेलने की मंशा को साफ करता है। यह दोनों ही नेता पार्टी में अलग-थलग पडे हुए हैं। सिंधिया की इन मेल मुलाकातों कि कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
दिग्गजों के लिए खतरा
भाजपा में जिस तेजी से सिंधिया का कद बढ़ रहा है, वह आने वाले समय में पार्टी के दिग्गजों की खतरा बन सकते हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की गिनती शीर्ष नेताओं में होती है। इनमें से कई नेताओं को सीएम पद का दावेदार भी माना जाता रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि आने वाले दिनों में क्या सिंधिया इन नेताओं के लिए बड़ा खतरा बन जाएंगे। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं है। यह देखना होगा कि सिंधिया प्रदेश में अपनी लोगों को कितने टिकट दिलवा पाएंगे। क्योंकि ग्वालियर चंबल संभाग में तो वही हो रहा है जो सिंधिया चाहते हैं।