भोपाल (देसराग)। पंजाब विधान सभा चुनाव में मिली भारी सफलता से उत्साहित आम आदमी पार्टी यानि आप ने अब मध्य प्रदेश के सियासी रण में अपने पैर जमाने की कवायदें शुरु कर दी हैं। अलबत्ता आप के अन्दरुनी सूत्रों की बात पर भरोसा करें, तो आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी गोपाल राय द्वारा प्रदेश में पार्टी से जुड़े सभी नेताओं को साल 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संग्राम में कमर कसकर तैयार रहने के संकेत दे दिए हैं।
उन्होंने सभी को यह हिदायत दे दी है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करने में नाकाम रही है। अर्थात एक विपक्षी दल के रुप में कांग्रेस अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक ढ़ंग से नहीं कर पा रही है। ऐसे में कांग्रेस की जगह एक मजबूत विपक्ष की भूमिका आदा करने के लिए पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरें और जनहित के मुद्दों पर संघर्ष के जरिए लोगों को पार्टी के साथ जोड़ने की शुरुआत करें। आप की इसी रणनीति के तहत अप्रैल महीने में पार्टी की ओर से महासदस्यता अभियान चलाया जाएगा।
मध्यप्रदेश प्रदेश में विकल्प क्यों
देश में जिस प्रकार कांग्रेस टूट रही है, उससे आप के लिए विकल्प बनने की संभावनाओं का आसमान और बड़ा हो गया है। पार्टी का दायरा बढ़ने पर मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों के असंतुष्ट नेता आगे के चुनावों के लिए इसकी राह पकड़ने की उम्मीद कर सकते हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 40 सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दिया था, जो दूसरी पार्टी से असंतुष्ट होकर आए थे। मध्यप्रदेश में भी चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस दूसरी पार्टी के असंतुष्टों को टिकट देने की सियासत करती आई है। इसी फॉर्मूले को अरविंद केजरीवाल मध्यप्रदेश में अपनाकर बड़ा दांव चल सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में असंतुष्ट नेताओं की कमी नहीं है। इसमें ऐसे नेता जो अपनी पार्टी में बिलकुल हाशिये पर भेज दिए गए हैं या फिर जो अपनी पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं, वो आम का हाथ थाम सकते हैं। आप के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह कहते हैं, वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे। निकाय चुनाव के लिए भी हमारी तैयारी है। हमें पूरा भरोसा है कि आम आदमी पार्टी प्रदेश में सफल होगी।
सिंधिया समर्थक असंतुष्टों के लिए बेहतर विकल्प
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कुछ नेता ऐसे हैं, जो अब तक भाजपा की रीति-नीति में खुद को नहीं ढाल पाए हैं। यह नेता भाजपा में असहज महसूस करते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो सिंधिया समर्थक होते हुए भी भाजपा में नहीं गए और अब वे पार्टी में हाशिए पर हैं। ऐसे में इनके लिए भी आम आदमी पार्टी एक बेहतर विकल्प बन सकती है।
2023 के चुनाव के लिए तैयार आप
आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी। उस दौरान करीब 200 विधानसभा सीटों पर आप ने चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव में पार्टी को कोई खास महत्व नहीं मिला। मात्र 0.7 प्रतिशत वोट से ही पार्टी को संतोष करना पड़ा, लेकिन अब पार्टी पूरी दमखम के साथ तैयार है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी कृष्णपाल सिंह कहते हैं कि निकाय चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कसी है। वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव भी पार्टी लड़ेगी।
रणनीति के साथ काम कर रही है आप
मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है। संभाग और जिला स्तर पर संगठन खड़ा किया है। प्रदेश की 122 विधानसभा और यहां के ब्लॉक स्तर पर टीम तैयार कर ली गई है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मध्यप्रदेश में पहली बार एंट्री की थी। यहां की चुनिंदा लोकसभा सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार खड़े किए थे। आप के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने खण्डवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, हालांकि इस चुनाव में पार्टी को अधिक सफलता नहीं मिल सकी थी।
अब तक दो अध्यक्ष
मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी के अब तक दो ही प्रदेश अध्यक्ष हुए हैं। पहले प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल थे। इसके बाद वर्तमान में पंकज सिंह कमान संभाले हुए हैं। आलोक अग्रवाल ने पिछले लोकसभा चुनाव के बाद हार की जिम्मेदारी ली थी। बाद में उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया।
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