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Thursday, Mar 30, 2023
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हाईकोर्ट के जबाव तलब करने से कई विभागों की बढ़ी मुसीबतें

50 लाख वर्गफिट की बेशकीमती जमीन खुर्दबुर्द करने का मामला

भोपाल (देसराग)। कई विभागों के नौकरशाहों द्वारा मिलकर रातापानी के जंगलों के समीप की करीब 50 लाख वर्गफिट जमीन को खुर्दबुर्द करने के मामले में अब हाईकोर्ट ने कई विभागों के अलावा सरकार से भी जबाव तलब किया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य शासन और सीहोर कलेक्टर से पूछा है कि लावाखेड़ी की इस बेशकीमती व जन उपयोग की जमीन विलासिता के लिए कौड़िय़ों के भाव क्यों आवंटित की जा रही है।
इस मामले में जबाव तलब जनहित याचिकाकर्ता लावाखेड़ी जिला सीहोर निवासी अचलसिंह की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजेश पंचोली द्वारा रखे गए पक्ष के बाद किया गया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र कुमार कौरव की युगलपीठ के सामने दलील देते हुए कहा कि लावाखेड़ी में रातापानी के जंगलों से सटी लगभग 50 लाख वर्गफुट सरकारी जमीन है। इस जमीन में करीब 25 हजार सागौन के पेड़ हैं, जिनकी कीमत लगभग 500 करोड़ रुपये है। यह जमीन राज्य सरकार ने पहले सीलिंग में ली थी। सन 2002-2003 में इसे निस्तार की भूमि के रूप में गांव के निवासियों के उपयोग के लिए सुरक्षित कर दिया गया, लेकिन 2019 में यह जमीन पर्यटन विभाग को टूरिस्ट एक्टिविटी के लिए आवंटित कर दी गई।
2021 में पर्यटन विभाग ने इसके तीन हिस्से कर कई होटल, स्वीमिंग पूल, एम्यूजमेंट पार्क , फिल्म स्टूडियो, मसाज पार्लर, रिसोर्ट आदि के लिए निविदा आमंत्रित की। इस निविदा की आफसेट कीमत दो करोड़ रुपये रखी गई। अधिवक्ता पंचोली ने दलील दी कि सीलिंग एक्ट के तहत सीलिंग की जमीन गरीब एससी, एसटी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कृषक सोसाइटी आदि को दी जा सकती है। इसके बाद इस मामले में प्रमुख सचिव राजस्व, वन, पर्यटन विभाग, सीहोर कलेक्टर और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह का समय दिया है। उधर, हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कविनगर स्थित आर्य समाज मंदिर में हुए मतांतरण मामले की सुनवाई की गई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के उस आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें आर्य समाज मंदिर को प्रतिवादी बनाने की मांग की गई थी। आर्य समाज मंदिर की ओर से अधिवक्ता भी उपस्थित हुए।

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