भोपाल (देसराग)। महिला बाल विकास विभाग ऐसा सरकारी विभाग बन चुका है, जिसकी लगभग हर योजना में घपले घोटले के आरोप लगते रहते हैं। इसके बाद भी विभाग के अफसर अपनी कार्यशैली सुधारने को तैयार नहीं दिखते हैं। इसी तरह का अब ताजा मामला टेक होम राशन (टीएचआर)को लेकर सामने आया है। इस मामले में विभाग के अफसरों ने स्कूली बच्चियों के नाम पर भी गड़बड़ी करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। दरअसल यह योजना उन 11 से 14 साल की बच्चियों के लिए चलाई जा रही है, जिसमें शाला त्यागने पर उन्हें मुफ्त में राशन दिया जाता है। इसका खुलासा स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों से होता है।
शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2021 में 22731 बच्चियों ने शाला त्यागी (स्कूल छोड़ा) है, जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि इस दौरान 1,27,527 बच्चियों को टेक होम राशन बांटा गया। दोनों विभागों के आंकड़ों में 104796 बच्चियों का अंतर है। इससे बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि आखिर महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक लाख से ज्यादा किन बच्चियों को राशन बांट दिया। ताजा जानकारी से खुलासा हुआ कि अकेले विदिशा जिले में 2015-16 में महिला बाल विकास विभाग ने 10613 बच्चियों को राशन बांटने का दावा किया, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग की जानकारी में इस जिले में 11 से 14 साल की किसी बच्ची ने स्कूल छोड़ा ही नहीं। पूरे प्रदेश में यह अंतर 10 से 35 गुना तक है।
भोपाल जिले में मार्च 2018 में 4265 बच्चियों को राशन दिया जाना बताया गया, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग इसी अवधि में शालात्यागी बच्चियों की संख्या सिर्फ 254 बता रहा है। प्रदेश में 2020 में जब छह महीने तक लॉकडाउन चला, तब 144 दिन राशन दिया गया। अप्रैल 2021 से मई के महीने तक केवल 24 दिन ही बच्चियों को राशन मिल पाया।