सतना (देसराग)। पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए सभी प्राणियों का संरक्षण जरूरी है। इसी उद्देश्य को लेकर मध्यप्रदेश के सतना जिले के शासकीय विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका डॉ.अर्चना शुक्ला ने करीब 12 वर्ष पहले एक अनोखी पहल की शुरुआत की, जो एक मिसाल के रूप मे साबित हो रही है। डॉ.अर्चना शुक्ला ने 12 वर्ष पहले गोरैया संरक्षण पर मुहिम शुरू की। शिक्षिका अर्चना शुक्ला ने गोरैया संरक्षण को लेकर स्पैरो हाउस बनाया, जिसमे गोरैया अपना ठिकाना बनाकर रहती हैं।
डॉ शुक्ला ने ऐसे शुरू की मुहिम
डॉ.अर्चना शुक्ला का कहना है कि जब उनकी पहली पोस्टिंग वर्ष 2010 में सतना जिले के उचेहरा करहीकला शासकीय विद्यालय में हुई तो वहां से उन्होंने गौरैया संरक्षण को लेकर नौवीं क्लास के बच्चों की मदद से काम शुरू किया। इसके बाद उनकी पोस्टिंग सतना के शासकीय वेंकट क्रमांक वन विद्यालय में हुई जहां से उन्होंने गौरैया संरक्षण पर कार्य और तेजी से किया।
बच्चों को प्रेरित किया
डॉ.अर्चना शुक्ला ने बच्चों की मदद से गौरैया के लकड़ी के बने घोंसले स्पैरो हाउस बनाया। उनका कहना है कि सन् 1990 से गौरैया की संख्या लगातार कम होने का कारण उनको घोंसले बनाने की उपयुक्त जगह ना मिल पाना है। उन्होंने पिछले डेढ़ वर्ष में अपने विद्यार्थियों के साथ मिलकर अलग-अलग तरह के घोंसले बनाए। बच्चों ने इन्हें अपने घरों में लगाया। कई घरों में कमियां समझ में आईं। जैसे कि बड़ा छेद होने के कारण दूसरे पक्षी जैसे मैना और रॉबिन अपने घोंसले उसमें बना लिया करते थे।
बच्चों के साथ मिलकर ऐसे बनाया स्पैरो हाउस
घोंसलों में दाना व पानी होने के कारण दूसरे शिकारी पक्षियों ने घोंसले को नष्ट किया। ऐसी समस्या आने पर इन्हें लगातार सुधारा गया। इसके बाद उन्हें एक ऐसा मॉडल बनाने में सफलता मिली, जो वैज्ञानिक रूप से गौरैया के लिए उपयुक्त लगा। इसे गौरैया ने सालभर में कई जगहों पर तीन बार भी अपनाया है। इस तरह से उन्होंने इस मॉडल के 100 स्पैरो हाउसेस बनवाए। इस बॉक्स में बच्चों ने क्यूआर कोड भी लगाया है। गूगल से स्कैन कर गोरैया के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त जा सकती है।