भोपाल (देसराग)। 6 साल तक मप्र में संघ, सत्ता, संगठन और जनता के बीच समन्वय के सूत्रधार रहे प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत को संघ के मध्य क्षेत्र का बौद्धिक प्रमुख नियुक्त किया गया है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। या यूं कहें की संघ ने भगत को मध्य क्षेत्र का बौद्धिक प्रमुख बनाकर उन्हें पुरस्कृत किया है।
गौरतलब है कि 2016 में जब सुहास भगत को संघ से भाजपा में भेजा गया था। उस समय यह आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि संगठन व सत्ता में समन्वय और अधिक मजबूत हो। भगत ने संघ से मिले इस दायित्व को बड़ी खूबी से निभाया। उन्होंने मप्र की राजनीति में परिवारवाद को लगभग समाप्त कर दिया है। आज मप्र भाजपा ऐसे कर्मठ युवाओं की पार्टी बन गई है जो पं. दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों को मजबूत कर रही है। निश्चित रूप से इसका श्रेय सुहास भगत को ही जाता है।
नई पीढ़ी की भाजपा बनाई
सुहास भगत की नीति और नीयत का ही परिणाम है कि आज मप्र भाजपा में नया जोश देखने को मिल रहा है। सुहास भगत ने नई पीढ़ी की भाजपा बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। यह उन्हीं का प्रयोग था कि मप्र देश का पहला राज्य बना जहां भाजपा के सभी मंडल अध्यक्ष 40 वर्ष से कम आयु के हैं। महानगरों में भी युवाओं को जिलाध्यक्ष बनाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। यह सुहास भगत की प्रयोगात्मक विचारधारा के चलते ही संभव हुआ। संगठनात्मक नियुक्तियों में उन्होंने विधायकों के एकाधिकार को समाप्त किया और योग्यता व मेहनत को स्थान दिलाया।
संघ की कसौटी पर सौ फीसदी खरे
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो संघ से आकर एक बार फिर संघ में बड़ा दायित्व संभाले। सुहास की बौद्धिक प्रमुख पद पर नियुक्ति यह बताती है कि वे संघ की कसौटी पर सौ फीसदी खरी उतरे। वर्ष 2016 में जब उनका भाजपा में प्रवेश हुआ तो वे प्रांत (मध्यप्रदेश) प्रचारक थे। उनकी नियुक्ति के कई मायने निकल रहे हैं। इससे पहले कप्तान सिंह सोलंकी प्रांत प्रचारक रहते हुए भाजपा के संगठन महामंत्री बने थे, लेकिन उन्हें भी दायित्व मुक्त किया था पर मूल संगठन में वापसी नहीं की गई थी। बाद में वे भाजपा में ही काम करते रहे और राज्यपाल बने। उनके अलावा माखन सिंह चौहान व कृष्णमुरारी मोघे को भी संगठन महामंत्री बनाकर भेजा था, उनकी भी वापसी नहीं हुई। भगत की वापसी होने के साथ में प्रमोशन होना चौंकाने वाली बात है। देखा जाए तो संघ में भी काम करते तो वे क्षेत्रीय स्तर के अधिकारी होते। संघ में क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख का पद होना यानी पांच प्रमुख प्रचारक में से एक रहना।
समन्वय के साथ सबको सक्रिय रखा
सुहास भगत की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उन्होंने सत्ता, संगठन और संघ से समन्वय बनाकर जनता के हित में काम करवाया। उन्होंने भाजपा संगठन को गांव-कस्बों तक में मजबूत किया। प्रदेश में युवाओं को भाजपा से जोड़ने के लिए अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ मिलकर काम किया। इस कारण आज भाजपा परिवारवाद से पूरी तरह मुक्त है और कर्मठ तथा सक्रिय युवाओं को पार्टी में जिम्मेदारी मिली है। असर ये हुआ कि प्रदेशभर में नई भाजपा खड़ी हो गई। इसके अलावा विधायक आधारित संगठन के बजाय संगठन आधारित विधायक के फॉर्मूले को लागू करने में सफल रहे। जिला कार्यकारिणी को लेकर प्रदेश से प्रतिनिधियों को भेजकर विधायकों से नाम तो लिए गए लेकिन मजबूत काम करने वाले संगठन के कार्यकर्ताओं को ही दायित्व दिया गया। उसके लिए सभी जिला अध्यक्षों को स्पष्ट कर दिया था कि सभी काम करने वालों के नाम निकालें, जो संगठन को नई ऊर्जा दे सकें। बड़ी बात ये है कि भगत के सारे बदलाव संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं की जानकारी में थे।