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Wednesday, Sep 27, 2023
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नर्मदा में तेजी से फैल रहा प्रदूषण, जलीय जीवों को खतरा!

भोपाल (देसराग)। नर्मदा नदी के लिए अब अजोला (चोई) नई आफत बन गया है। नदी के बहाव के साथ जल में किनारों पर अजोला की समस्या बढ़ गई है। यह जलकुंभी बरगी-तवा डेम से होते हुए नहरों की केनाल और नालों से आकर सीधे नर्मदा जल में मिलकर अपना जाल बिछाकर नुकसान पहुंचा रही है। इसके कारण जल में आक्सीजन की मात्रा घट रही है जिससे जलीय जीवों पर सीधा असर पड़ऩा शुरू हो गया है। इसे अगर नहीं रोका गया और पूरी तरह साफ कर नहीं निकाला गया तो अधिक मात्रा में फैलने पर यह दिक्कतें बढ़ा देगी।
सरकार के तमाम दावों और प्रयासों के बाद भी मध्यप्रदेश की जीवन दायिनी नर्मदा प्रदूषण मुक्त होती दिखायी नहीं दे रही है। इसकी बड़ी वजह वे शहर हैं जिनके नाले सीधे नर्मदा में मिलते हैं। इन नालों को अब तक नहीं रोका जा सका है। साल दर साल बढ़ते प्रदूषण का नतीजा यह है कि निर्मल नर्मदा का पानी कई स्थानों पर न सिर्फ पीने योग्य भी नहीं रह गया है बल्कि, लगातार बढ़ती अजोला के चलते स्नान योग्य भी नहीं रह गया है।
पांच साल बाद फिर बढ़ा प्रकोप
नर्मदा में करीब पांच साल बाद यानी 2017 के बाद एक फिर नर्मदा में विभिन्न स्थानों पर अजोला की गहरी छाया नजर आ रही है। जहां स्नान करने से शरीर में खुजली की शिकायत सामने आ रही है। इसके अलावा अजोला की मोटी परत से नर्मदा के दुर्लभ जलीय जीवों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है। नर्मदापुरम समेत बरमान, बनखेड़ी, सांडिया, बांद्राभान, आंवली घाट पर यह बड़े क्षेत्र में दिखाई दे रही है। नर्मदापुरम में मुख्य घाटों पर पांच वर्ष बाद फिर फैली अजोला को तत्काल नर्मदा से साफ करने के लिए कलेक्टर नीरज सिंह ने नगर पालिका सीएमओ शैलेंद्र बड़ोनिया को निर्देश दिए हैं।
जलीय जीवों के लिए खतरा
नर्मदा महाविद्यालय के प्राचार्य डा. ओएन चौबे के मुताबिक अजोला टेरिडोफाइटा समूह की वनस्पति है। यह वनस्पति अधिकांशत: सीवर वाले स्थानों व थमे पानी में पनपती है। इसकी परत से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जल्द खत्म नहीं करने पर जलीय जंतुओं के लिए खतरा बन जाती है। साथ ही मनुष्यों में चर्म रोग की शिकायत हो सकती है। कृषि अनुसंधान केंद्र बनखेड़ी के वरिष्ठ वैज्ञानिक बृजेश नामदेव के अनुसार अजोला के उपयोग से सरसों व धान की फसल में 30 से 40 फीसदी यूरिया के उपयोग को कम किया जा सकता है। वहीं पशु आहार के काम भी अजोला का उपयोग किया जा सकता है। जलस्रोत से निकालने के बाद इसकी कम्पोस्ट खाद तैयार की जा सकती है। सांडिया घाट नर्मदा में सतत सफाई कार्य करने वाली जय माता दी समिति के संदीप शर्मा बताते हैं कि 2017 के अब एक बार फिर अजोला बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है।

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