विवेक अग्निहोत्री की फिल्म दि कश्मीर फाइल्स इन दिनों चर्चा में है। फिल्म से ज्यादा चर्चा फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की हो रही है। हाल ही में उन्होंने भोपाल में ‘भोपालियों’ पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उनकी इस टिप्पणी के क्या मायने हैं, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता सोमेश्वर सिंह ने अपने विचार रखे हैं। सोमेश्वर सिंह ‘सुना फलाने’ नाम से अपने कॉलम में फेसबुक पर नियमित लेखन करते हैं। उनकी काला टिप्पणी को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं–
देसराग।
फिल्म द कश्मीर फाइल्स के फायरब्रांड डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री अपने बड़बोलेपन के कारण एक मर्तबा फिर विवादों में फंस गए हैं। उन्होंने भोपाल शहर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। नवाबों के शहर भोपाल को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा भोपाली का मतलब होमोसेक्सुअल है। उनका मकसद साफ है। एक खास मजहब के खिलाफ नफरत फैलाना। जो अभी हाल में वे कश्मीर पर विवादास्पद फिल्म बनाकर कर चुके हैं। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं होता कि आप किसी दूसरे मजहब के खिलाफ नफरत फैलाए।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी विवेक रंजन अग्निहोत्री के गलत बयानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह उनके संगत का असर है। शायद यह उनका निजी अनुभव हो। क्योंकि पिछले दिनों विवेक अग्निहोत्री और अभिनेता अनुपम खेर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, संघ प्रमुख मोहन भागवत से सौजन्य मुलाकात कर चुके हैं। जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही हैं। दिग्गी राजा का संकेत शायद इसी संगत पर था।
अभी हाल में ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रवाद के लिए समर्पित भाव से काम करने वाले स्वयंसेवकों को आह्वान करते हुए कबीर के दोहा को रेखांकित किया और कहा -“कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाठी हाथ, जो घर फूंके आपनौ चले हमारे साथ”। एक जमाने में मध्य प्रदेश भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्री रहे राघव जी इस लुकाठी का करतब पहले ही दिखा चुके हैं। अपने नौकर राजकुमार को राजकुमारी बनाने के चक्कर में होमो सेक्सुअल रेप के आरोप में जेल चले गए। मंत्री पद और पार्टी के सदस्यता से हाथ धोना पड़ा। राघवजी ने संघ, जनसंघ फिर भाजपा कि 50 वर्षों तक सेवा की थी। अटल बिहारी वाजपेई तथा लालकृष्ण आडवाणी के बहुत करीबी थे। वर्ष 1989 में उन्होंने बाजपेई जी के लिए विदिशा लोकसभा सीट छोड़ दी थी।
राघव जी के सेक्स स्कैंडल मामले में मध्य प्रदेश के तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने टिप्पणी करते हुए कहा था यह मानवीय कमजोरी है। किसी से भी हो सकती है। ऐसी ही मानवीय कमजोरी के आरोप में संघ के ताकतवर प्रतिनिधि संगठन मंत्री अरविंद मेनन, संघ प्रचारक तथा भाजपा के महामंत्री संजय जोशी पर भी लगाए गए थे। स्वर्गीय अटल जी ने तो स्वयं स्वीकार किया था कि वह अविवाहित हैं। किंतु कुंवारे नहीं।
संघ के ऐसे निष्ठावान और समर्पित स्वयंसेवक जो किशोरवय उम्र से ही समाज सेवा में अपना संपूर्ण जीवन तिरोहित कर देते हैं। आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। यदि इस तरह की छोटी मोटी मानवीय गलतियां हो भी जाती हैं तो वह देव तुल्य और क्षमा योग्य है। परंतु विरोधाभास देखिए की ऐसी गलती भगवान करे तो वह पुण्य और बंदनीय है। और यदि उनके भक्त कर दें तो वह पाप और अपराध। आखिर यह कैसा न्याय ।ऐसे में मुझे मशहूर शायर कफील आजर अमरोहवी की नज़्म याद आती है-
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशा क्यूं हो
जगमगाते हुए लम्हों से गुरेजा क्यूं हो
उंगलिया उट्ठेगी सूखे हुए बालों की तरफ
एक नजर देखेंगे गुजरे हुए सालों की तरफ…….
लंगोट के कच्चे तो भगवान भी थे। भला मनुष्य की क्या बिसात। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने एक मर्तबा कमिनीय मोहनी स्त्री का रूप धारण किया। भगवान शिव मोहनी रूप देखकर आसक्त हो गए और उनका वीर्यपात हो गया। जिसे पुराणों में पारद कहा जाता है। इसी पारद से सस्त्रबल नाम के पुत्र का जन्म हुआ। जिसे दक्षिण भारत में भगवान अय्यप्पा कहा जाता है। इसीलिए भगवान शिव को हरिहर भी कहते हैं। केरल के सबरीमाला मंदिर में शिवपुत्र भगवान अय्यप्पा स्वामी का मंदिर है। इस मंदिर में दुनियाभर के श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं। परंतु मंदिर में 10 से 50 वर्ष तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। अर्थात रजस्वला स्त्री मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती। कहते हैं कि भगवान अय्यप्पा ने ब्रह्मचारी रहने की कसम खाई थी। क्योंकि उनका जन्म किसी स्त्री से नहीं बल्कि दो समलैंगिक भगवानों के मिलन से हुआ था।
इसलिए होमोसेक्सुअलिटी को मजहब के नाम पर विभेदित करके नफरत फैलाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। बेहतर होगा की विवेक अग्निहोत्री जैसे विचार वान, बुद्धिमान फिल्म डायरेक्टर वैदिक, पौराणिक हिंदू संस्कृति का इतिहास पढ़ें।