पचमढ़ी (देसराग)। सरकार ने दिहाड़ी पर कार्य करने वालों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। अलबत्ता अब मनरेगा योजना पर हो रहें भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्टाचारियों की नकेल कसने के लिए शिवराज सरकार ने मसौदा तैयार कर लिया है। जल्द मनरेगा योजना के तहत लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी। जिससे मनरेगा की आड़ में ग्राम स्तर पर हो रहे घोटाले पर लगाम लगेगी।
बता दें कि मनरेगा योजना वर्तमान में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है। प्रदेश की अधिकतर ग्राम पंचायतों में सरपंच व सचिव तथा सहायक मनरेगा अधिकारी की मिलीभगत के चलते इस योजना का गलत फायदा उठाया जाता है। जिसकी वजह से साल में हजारों करोड़ों का घोटाला सिर्फ मध्यप्रदेश में ही देखने को मिलता है। इन घोटालों पर अंकुश लगाने के लिए अब लोकपाल नियुक्त किए जा रहे है। लोकपाल नियुक्त होने के बाद अगर फर्जी जॉब कॉर्ड, मशीनों से निर्माण कार्य जैसी शिकायत आती है, तो संबंधित अधिकारी पर भ्रष्टाचार निवारण के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। वहीं यह लोकपाल सूचना मिलने पर छापामार कार्यवाही को भी अंजाम देंगे।
सरकार की इस मंशा से मनरेगा योजना में हो रहे घोटालों पर अंकुश तो लगेंगा ही और अभी तक जिन ग्राम पंचायतों में घोटालें हो चुके है, उन मामलों को भी संज्ञान में लाया जा सकेगा।
मध्य प्रदेश में मनरेगा से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई के लिए अब जिलों में लोकपाल नियुक्त होंगे। इसके लिए सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (लोकपाल की नियुक्ति, शक्ति यां एवं कर्तव्य) नियम 2021 लागू किए हैं। मजदूरी भुगतान, बेरोजगार भत्ते के भुगतान, काम की मांग, कार्य की गुणवत्ता, मशीनों के उपयोग, ठेकेदारों से काम लेने सहित अन्य शिकायतों की सुनवाई अब लोकपाल करेंगे। इसमें यदि शिकायत सही पाई जाती है तो निर्णय पारित कर कार्रवाई करने के लिए संबंधी को निर्देशित किया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लोकपाल उसी व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा, जिसे लोक प्रशासन, विधि, अकादमिक, सामाजिक कार्य या प्रबंधन के क्षेत्र में कम से कम दस साल काम करने का अनुभव हो। चयन पैनल में से किया जाएगा और जनता से फीडबैक भी लिया जाएगा। स्थानीय व्यक्ति या पड़ोसी जिले के व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाएगी।
लोकपाल का कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा, जिसे दो बार एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा लोकपाल को किसी व्यक्ति को समन देने, शपथ पत्र पर साक्ष्य लेने, दस्तावेज प्रस्तुत करने, मौके पर जांच करने के निर्देश देने का अधिकार होगा। वह जांच के बाद निष्कर्ष की रिपोर्ट सरकार को देंगे और अनुशासनात्मक या दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी कर सकेंगे। सामान्य श्रेणी की शिकायतों का निराकरण 15 दिनों में करना होगा। लोकपाल के निर्णय पर यदि कार्रवाई नहीं की जाती है तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अपील प्राधिकरण भी रहेगा लोकपाल के निर्णय से असहमत होने पर उसकी अपील के लिए प्राधिकरण का गठन होगा। इसमें एक शिक्षाविद्, एक सेवानिवृत्त लोक सेवक और एक सिविल सोसायटी का प्रतिनिधि रहेगा। प्राधिकरण को अपील के दो माह के भीतर प्रकरण का निराकरण करना होगा। अपील निर्णय होने के 15 दिन के भीतर करनी होगी।
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