देसराग डेस्क
यूपी सहित चार राज्यों में मिली जीत से भाजपा की बांछें खिली हुई है। मध्य प्रदेश में डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दोबारा सत्ता में आने की तैयारियां शुरू कर दी हैं और वह अब हिंदुत्व की राह पर चल पड़े हैं। हिंदुत्व भाजपा का प्राइम एजेंडा है लेकिन शिवराज सिंह इससे पहले कभी खुले तौर पर हिंदुत्व की राह नहीं पकड़ी। प्रदेश में लंबे समय से सरकार चला रहे शिवराज सिंह चौहान की छवि हिंदूवादी नहीं रही। उनकी लोकप्रियता की एक वजह यह भी रही है। लेकिन साल 2023 के चुनाव से पहले लगता है शिवराज सिंह हिंदू चेहरा बनने को आतुर हैं। यही वजह है कि वह अब राम का सहारा ले रहे हैं।
कोरोना का खतरा टल गया है लिहाजा सरकार का पूरा फोकस धार्मिक आयोजनों पर है। सरकार अब उन जगहों पर राम लीला का मंचन कराएगी जहां से भगवान राम वन गमन के दौरान गुजरे थे, बल्कि रुके भी थे। रामलीला के मंचन के लिए स्थान तय करने मैं राम वन गमन मार्ग को प्राथमिकता में रखा जा रहा है। राम वन गमन का मार्ग दरअसल वह मार्ग है जो प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों से होकर गुजरता है। इस बहाने आदिवासियों को भी साधने की तैयारी है। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस की शुरू से ही मजबूत पकड़ रही है। इस दौरान सरकार यह बताने की कोशिश करेगी कि राम सबके हैं।
रामलीला के मंचन के आयोजनों का जिम्मा संस्कृति विभाग को दिया गया है। संस्कृति विभाग नवरात्र के अवसर पर रामलीला के मंचन की तैयारी में है और इस तरह के आयोजन के लिए करीब एक दर्जन जिलों का चयन भी कर लिया गया है। ये वे जिले हैं, राम की कथाओं के अनुसार जहां से राम का संबंध रहा है। रामलीलाएं नवरात्र के पहले दिन से रामनवमी तक होना है। चित्रकूट और ओरछा में रामलीला के बड़े और भव्य आयोजन होंगे।
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