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Saturday, Apr 1, 2023
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राज्य

लक्ष्य से कोसों दूर है कांग्रेस का घर वापसी अभियान!

भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सदस्यता अभियान अब समाप्त होने जा रहा है, लेकिन अब तक जो जानकारी सामने आ रही है उसमें पार्टी बुरी तरह से पिछड़ती नजर आ रही है। दरअसल इसकी वजह पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब परफार्मेंस को माना जा रहा है।
हालत यह है कि बीते रोज तक जो आंकड़े बताए जा रहे हैं उसके मुताबिक अभी यह आंकड़ा महज दस लाख के आंकड़े को ही छू सका है। यह हाल प्रदेश में तब है जब प्रदेश संगठन से लेकर पीसीसी के मुखिया कमलनाथ तक इस मामले में शुरुआत से ही सख्त रुख अपनाते आ रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस का सदस्यता अभियान एक नवंबर 2021 से शुरू हुआ था। इसके लिए अंतिम तारीख 31 मार्च रखी गई है। अब तक पीसीसी से सदस्यता के लिए जो किताबें जिला कांग्रेस कमेटियां व पदाधिकारी ले गए थे, बहुत कम संख्या में वापस लौटी हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने इस बार 50 लाख सदस्य बनाने का टारगेट रखा था, जिसे पाने के लिए दो लाख 55 हजार किताबें वितरित की गई थीं। एक किताब में 25 सदस्य बनाए जा सकते हैं और इस हिसाब से सदस्यता टारगेट से करीब 64 लाख सदस्य बन सकते हैं।
उधर तीन दिन पहले तक पीसीसी के पास करीब साढ़े नौ लाख सदस्य बनाए जाने की जानकारी आयी थी। अब आज आखिरी दिन है। अब तक की जानकारी के मुताबिक सदस्यता अभियान के मामले में इंदौर संभाग पहले स्थान पर चल रहा है। इंदौर में सदस्यता अभियान में 70 हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। इसमें 50 हजार डायरी से तो 20 हजार डिजिटल रुप में बनाए गए हैं।
लक्ष्य बढ़ाया फिर भी नहीं पकड़ सका गति
पार्टी ने इस अवधि में 70 लाख नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। टारगेट पूरा होगा या नहीं, यह सामने आ जाएगा। हालांकि वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अभियान में 50 लाख नए सदस्य बनाए जाने के आसार हैं। सदस्यता अभियान के समापन के बाद पार्टी के संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कांग्रेस का सदस्यता अभियान 1 नवंबर से शुरू हुआ था। मप्र कांग्रेस कमेटी ने शुरूआत में 31 मार्च तक 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था, जिसे बाद में बढ़ाकर 70 लाख कर दिया गया था। पार्टी ने अपने सभी फ्रंट लाइन ऑर्गेनाइजेशन, मोर्चा, प्रकोष्ठों और पार्टी पदाधिकारियों को अधिक से अधिक सदस्य बनाने का टारगेट दिया था। मैनुअल के साथ ऑनलाइन सदस्य बनाने का विकल्प भी पार्टी ने रखा है। सदस्यता अभियान के मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रकाश जैन के पास है।
इस तरह की सख्ती
खास बात यह है कि जिन नेता या पदाधिकारियों ने कांग्रेस के सदस्यता अभियान में सदस्य नहीं बनाए हैं वे आगामी चुनाव में जिम्मेदारियों की दौड़ से बाहर रहेंगे या कहें कि चुनाव के टिकट की दौड़ में शामिल ही नहीं हो सकेंगे। वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि जिन पदाधिकारियों ने सदस्यता अभियान में सहयोग नहीं किया है, ऐसे पदाधिकारियों को पद मुक्त किया जाएगा।

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