भोपाल(देसराग)। मध्य प्रदेश में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले ही भाजपा पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगी हुई दिखाई दे रही है, यही वजह है कि संगठन व सरकार मिलकर अब पूरी तरह से उन कार्यक्रमों व योजनाओं पर फोकस कर रही है, जिसका फायदा चुनाव में मिल सकता है। इसके अलावा कमजोर कड़ियों को तलाश कर उन पर भी काम शुरू किया जा रहा है। इसके तहत अब सरकार पार्टी के उन प्रभावशाली नेताओं व कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने जा रही है जो सरकार में भागीदारी न मिलने की वजह से लगातार नाराज बने हुए हैं। उन्हें अब सरकार सहकारिता क्षेत्र में समायोजित करने की योजना पर काम कर रही है, तो संगठन उन 82 सीटों पर फोकस कर रही है जो आरक्षित हैं। बीते चुनाव में भाजपा को इन सीटों पर बढ़ा नुकसान उठाना पड़ा था जिसकी वजह से ही भाजपा को 15 माह तक सरकार से बाहर रहने को मजबूर होना पड़ा था। यह वे सीटें हैं जो अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें से अनुसूचित जाति (अजा) की 35 और अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग के लिए 47 आरक्षित हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों वर्ग की 60 सीटें भाजपा के पास थीं, लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग नाराज होने से पार्टी को इन सीटों पर बहुत नुकसान उठाना पड़ा था।
उधर पचमढ़ी की चिंतन बैठक के बाद भाजपा की बड़ी बैठक हो रही है, जिसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भाग ले रहे हैं। बैठक में आगामी संगठनात्मक कार्यक्रमों की रुपरेखा तय होगी,तो 6 अप्रैल को पार्टी के स्थापना दिवस तथा 14 अप्रैल डॉ.अम्बेडकर जयंती पर होने वाले आयोजनों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस दौरान निवर्तमान प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत को विदाई दी जाएगी, जबकि नए संगठन महामंत्री हितानंद का स्वागत किया जाएगा।
एक दर्जन नए सहकारी संघों में दी जाएगी जगह
असंतुष्टों को संतुष्ट करने के लिए अब एक दर्जन नए सहकारी संघों बनाने की तैयारी सरकार स्तर पर की जा रही है। इनमें एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष के साथ 5 से लेकर 15 संचालक बनाए जा सकेंगे। खास बात यह है कि इनकी पंचायत से लेकर जिले स्तर तक भी शाखाएं होंगी। इन संघों के जरिए सरकार निचले स्तर तक पार्टी के असंतुष्टों को न केवल साधेगी, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटरों तक भी पहुंच बनाने का काम करेगी। पचमढ़ी की चिंतन बैठक में इस पर सहमति बनी थी। नए सहकारी संघों का शुरूआती खर्च सरकार उठाएगी बाद में इसे स्वशासी बनाया जाएगा। इनका संचालन सहकारी अधिनियम के तहत किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो इसकी अलग से नीति भी नीति आयोग मप्र एवं सुशासन संस्थान की मदद से तैयार कराई जा चुकी है। पंचायत और जिला स्तर पर इकाइयों के एक प्रतिनिधि को राज्य स्तर पर संचालक बनाकर भेजा जाएगा। यही संचालक एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्षों का चयन करेंगे। जो नया सहकारी संघ बनाया जाना प्रस्तावित है उनमें मप्र राज्य सहकारी भंडार संघ , राज्य सहकारी पर्यटन संघ, मप्र राज्य सहकारी जन औषधि विपणन संघ मप्र राज्य सहकारी उद्यानिकी संघ, मप्र राज्य सहकारी श्रमिक संघ, मप्र राज्य सहकारी ग्रामीण परिवहन संघ, मप्र राज्य सहकारी खनिज संघ, मप्र राज्य सहकारी सेवा प्रदाता संघ, मप्र राज्य सहकारी आईटी संघ, मप्र राज्य सहकारी ऊर्जा संघ, मप्र राज्य सहकारी जैविक उर्वरक संघ मप्र राज्य सहकारी ग्रामीण औद्योगिकीकरण संघ शामिल हैं।
एट्रोसिटी एक्ट से हुआ था बड़ा नुकसान
वर्ष 2018 में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में देशभर में विरोध-प्रदर्शन की लहर जब मध्य प्रदेश पहुंची तो ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हंगामा हुआ था। इस पर काबू पाने के लिए बड़े पैमाने पर थानों में मामले दर्ज किए गए, जिनके खिलाफ केस दर्ज हुए इनमें बड़ी संख्या अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े नेताओं की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव को सामने देखते हुए कांग्रेस ने इसका जमकर फायदा उठाया और वादा किया कि सत्ता में आने पर वह इन सभी मामलों को समाप्त कर अनुसूचित जाति वर्ग को राहत देगी। हालांकि, सरकार बनने पर वह इस वादे को नहीं निभा सकी।
अम्बेडकर जयंती का होगा बड़े स्तर पर आयोजन
अनुसूचित जनजाति वर्ग को साधने के लिए सरकारी स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में जनजातीय गौरव दिवस मनाने के बाद अब डा.अम्बेडकर के जन्मदिवस पर फिर लाखों अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को भोपाल में एकत्र करके बड़ा संदेश देने की तैयारी है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब सोशल इंजीनियरिंग के बजाय जनकल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर काम करते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने मुफ्त राशन, सभी को पक्के मकान, स्वरोजगार के लिए लोन और महिलाओं के स्वसहायता समूहों के माध्यम से अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रभाव वाले क्षेत्रों में पैठ बढ़ाने पर जोर दिया है, वहीं सीएम राइज स्कूल, लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 और गांवों तक परिवहन व्यवस्था के माध्यम से बेहतर भविष्य की ओर भी इन वर्गों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं। भोपाल में आयोजित अम्बेडकर जन्मदिवस कार्यक्रम की सफलता ही भाजपा सरकार के प्रयासों को परखेगी। संगठन की ओर से इस आयोजन की सफलता की तैयारियां तेज कर दी गई हैं।