भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने लंबे अरसे बाद अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर कमलनाथ के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर आयोजित बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव जैसे नेता भी शामिल हुए। बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बताया कि बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर सर्वसम्मति बनी है। कमलनाथ के नेतृत्व में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने से जहां कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां रहेंगी।
नाथ के लिए चुनौतियां
प्रदेश के युवा वर्ग की पहली पसंद नहीं बन पायेंगे, दूसरी तरफ अगर भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को चेहरा बनाती है तो कमलनाथ की लोकप्रियता प्रदेश में उतनी ज्यादा नहीं है, जो उनके दम पर कांग्रेस चुनाव जीत सके। कांग्रेस में आपसी कलह हार का बड़ा कारण बन सकती है, संगठन में एक जुटता बनाये रखना कठिन होगा।प्रदेश में युवाओं की पसंद कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी हैं, वो किसानों और नौजवानों का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हैं। उनका विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार करना कांग्रेस के युवा वर्ग में अलग छवि गढ़ रहा है।
2023 की जीत का मंत्र
किसानों और मंहगाई को चुनावी मुद्दा बनाना पड़ेगा। युवाओं को लुभाने वाले मुद्दे जैसे रोजगार और शिक्षा को उठाना होगा। प्रदेश की जनता की नब्ज को टटोलने की बाजीगरी करनी पड़ेगी।
बैठक में लिए गये बड़े फैसले
जीतू पटवारी ने कहा कि अब हर 15 दिन में कांग्रेस की समन्वय समिति की इसी तरह की बैठकें आयोजित होंगी। बैठक में कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और प्रदेश की खस्ता आर्थिक हालात को लेकर सड़कों में संघर्ष करते हुए दिखाई देगी। पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि कमलनाथ आने वाले दिनों में नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं लेकिन बैठक के बाद फिलहाल कमलनाथ दोनों ही पदों पर बने रहने वाले हैं।
सरकार बनाएगी कांग्रेस!
लगभग 2 घंटे चली बैठक के बाद कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने मीडिया से चर्चा में साफ किया कि आगामी विधानसभा चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। मध्य प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने में कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।
ये नेता हुए मीटिंग में शामिल
कमलनाथ के बंगले में हुई प्रदेश कांग्रेस की इस महत्वपूर्ण बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक डाक्टर गोविन्द सिंह, कांतिलाल भूरिया व अरुण यादव, सुरेश पचौरी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कावरे सहित कमलनाथ सरकार में पूर्व मंत्री रहे नेता इसमें शामिल रहे।
पार्टी में कोई मतभेद नहीं
पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल सब एक हैं। कांग्रेस पार्टी में अपने विचार रखने की आजादी है। पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह का कहना है कि पार्टी को अपनों से चुनौतियां हैं। चुनौतियां बहुत सारी हैं। राजनीतिक क्षेत्र में जब हम काम करते हैं तो सभी प्रकार की चुनौतियां होती हैं। उससे निपटने के लिए कमलनाथ पूरी तरह से सक्षम हैं। पूर्व मंत्री तरुण भनोट ने कहा कि मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी का चेहरा कौन होगा यह आलाकमान तय करेगा। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बदलने की अटकलों पर तरुण भनोट ने कहा कि कमलनाथ सर्वमान्य नेता हैं और सभी प्रकार की परिस्थितियों से निपटने में सक्षम हैं।
संन्यास की उम्र में सेहरा बांध लिया
मध्यप्रदेश कांग्रेस 2023 का विधानसभा चुनाव पूर्व सीएम कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ेगी। बैठक में पार्टी नेताओं ने इस बात का फैसला लिया। जिसके बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के इस फैसले पर तंज कसा है। उन्होंने कहा- गजब है, कांग्रेस ने संन्यास की उम्र में कमलनाथ के सिर सेहरा बांध दिया। उन्होंने कहा- कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री हैं, मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भी वही हैं। भावी मुख्यमंत्री भी कांग्रेस की ओर से कमलनाथ ही हैं। जब चुनाव होगा तब कमलनाथ 77 साल के होंगे। इससे कांग्रेस का भविष्य समझ में आएगा कि किसके नेतृत्व में सड़क पर लड़ने का संकल्प लिया जा रहा है। मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस परिवारवाद की पोषक पार्टी है। वह पार्टी नहीं है परिवार है। पार्टी तो भारतीय जनता पार्टी है। यहां अगला अध्यक्ष कौन होगा? कभी पता नहीं रहता है।