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Monday, Oct 2, 2023
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राजनीति

60 माननीयों पर लटकी तलवार, उम्रदराज नेताओं को नहीं मिलेगा टिकट !

प्रदीप भटनागर
भोपाल(देसराग)। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल से ज्यादा का वक्त है लेकिन इसके लिए भाजपा ने अभी से कमर कस ली है। खासखबर यह है कि भाजपा ने अपने मौजूदा 60 विधायकों का पत्ता कट करने की तैयारी कर ली है। भाजपा युवाओं के दम पर 2023 के चुनाव को जीतने की तैयारी में है। पार्टी ने खुलकर बुजुर्ग नेताओं को दरकिनार कर दिया है।
युवाओं को मौका देकर पार्टी ने साफ कर दिया है कि उम्रदराज नेता मार्गदर्शक बनें तो पार्टी के लिए बेहतर होगा। उनका अनुभव युवाओं के साथ-साथ पार्टी को भी उच्च स्तर पर ले जाएगा। दरअसल भाजपा युवा और जोश से भरे कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक भेजकर पार्टी का वोट बैंक बढ़ाएगी। वहीं आंकड़ों पर गौर करें तो 18 से 25 साल की उम्र वाले नौजवानों की सबसे ज्यादा पसंदीदा पार्टी भाजपा ही है, इसलिए पार्टी नौजवानों के सामने उम्रदराज नेताओं को नहीं उतारना चाहती।
वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने का फॉर्मूला तय
भाजपा ने बूथ विस्तारक बैठक में प्रदेश में अपना वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने का फॉर्मूला तय किया है। 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह ने भोपाल में चिंतन मंथन किया था। तभी तस्वीर साफ हो गई थी कि आने वाले दिनों में 65 प्लस नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। पूर्व मंत्री जयंत मलैया, गौरीशंकर शेजवार, कुसुम मेहदेले, माया सिंह, हर्ष सिंह, अन्तर सिंह आर्य सहित कई और बुजुर्ग नेताओं के टिकट काट दिए गए हैं।
परिवारवाद से भाजपा की दूरी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की टीम में भी नए चेहरों को मौका दिया गया है, जिसमें ज्यादातर युवा हैं। जहां तक 70 की उम्र के नेताओं का सवाल है तो उन्हें टिकट नहीं दिए जाएंगे। साथ ही परिवारवाद को भी दूर रखा गया है। नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद यह माना जा रहा था कि उनकी जगह उनके बेटे को टिकट मिल सकता है लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। ऐसा ही उदाहरण दमोह उपचुनाव में देखने को मिला जहां पर जयंत मलैया और उनके बेटे को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। हालांकि मलैया को टिकट न देने के चलते पार्टी को हार मिली। लेकिन पार्टी ने जो गाइडलाइन तय की है उसके मुताबिक ही चल रही है। माननीयों पर लटकी तलवार
भाजपा संगठन द्वारा लगाई गई क्लास के दौरान संगठन के निशाने पर पांच दर्जन से अधिक विधायक आ गए। इनमें सरकार के नौ मंत्री भी शामिल हैं। यह वे विधायक हैं जो संगठन के बार-बार निर्देश के बाद भी पार्टी द्वारा चलाए गए बूथ विस्तारक अभियान में मुंह दिखाई तक ही सीमित बने रहे। इन विधायकों को प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की न केवल नसीहत का सामना करना पड़ा, बल्कि उनकी फटकार से भी दो चार होना पड़ा है। अब उनसे साफ-साफ कह दिया गया है कि या तो वे संगठन के हिसाब से सक्रियता दिखाएं या फिर आराम करें। इस दौरान उनके सामने संगठन की तरफ से बूथ विस्तारक योजना के अलावा समर्पण निधि का रिपोर्ट कार्ड भी रखा गया। संगठन के निशाने पर रहने वालों में कुछ सांसद भी शामिल हैं। दरअसल निशाने पर रहने वाले विधायकों ने संगठन के निर्देश के बाद भी अपने इलाके के बूथों पर तय दस दिन की अवधि तक सक्रियता ही नहीं दिखाई। इसी तरह से इन दो कार्यक्रमों में से किसी एक में पीछे रहने वाले विधायकों की संख्या करीब 90 रही है। यानि की महज 37 विधायक ही संगठन के कामकाज पर खरे उतरे हैं।
विधायकों-मंत्रियों को नसीहत
प्रदेश में भाजपा के विधायकों की संख्या 127 है। इन विधायकों व सांसदों को प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने दो टूक हिदायत देते हुए कहा है कि कुछ मंत्री-विधायक कहते हैं कि हमको अभियान और कार्यक्रम फुरसत नहीं लेने देते हैं। यह साफ है कि अगर किसी को विश्राम लेना है तो अभी ले लो। बहुत कार्यकर्ता दौड़ने के लिए खड़े हैं।
50 सीटों पर रहेगा फोकस
राव ने कहा कि हमने 50 हारने वाली सीटें चिन्हित की है। एक साल इन सीट पर फोकस किया जाएगा। आपको क्षेत्र में कसम खिलाकर भेजा जाएगा। 50 फीसदी वोट शेयर करना है। इसके लिए विधायकों को बूथ तक समन्वय रखना होगा। बूथ विस्तार अभियान के बारे में कहा कि यह हमारे लिए एक परीक्षा की तरह था लेकिन हमने योजना के अनुसार काम किया।
सिंधिया का दिखा क्रेज
प्रदेश कार्यालय में दिग्गज नेताओं ने अलग से भी बैठक की। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बैठक के लिए कार्यालय पहुंचे। सिंधिया का प्रभाव साफ दिखा। कार्यकर्ताओं से लेकर नेता तक सिंधिया से मिलने की मशक्कत में रहे। सिंधिया ने शिवप्रकाश, मुरलीधर राव, वीडी शर्मा, प्रहलाद पटेल सहित अन्य नेताओं के साथ अलग से चर्चा भी की। माना जा रहा है कि इसमें सियासी चर्चा हुई।
अब संघ के अनुषांगिक संगठन होंगे सक्रिय
मध्यप्रदेश में 10 फीसदी जनाधार बढ़ाने और मिशन 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा की इस मुहिम में परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भी पूरी मदद करेंगे। बीते विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों के चलते यह कदम उठाया जा रहा है। बीते चुनाव में भाजपा को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिल पाया था। इसलिए बूथ स्तर पर 10 फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। भाजपा ने बूथ स्तर पर सभी छोटे-बड़े नेताओं को भेजकर यह बूथ विस्तार अभियान की मुहिम चलाई है। लेकिन पार्टी का यह भी मानना है कि मैदानी स्तर पर इस मुहिम को सफल बनाने में संघ के अनुषांगिक संगठन ज्यादा मददगार साबित होंगे। इसके लिए विद्याभारती, किसान संघ, वनवासी कल्याण परिषद और भारतीय मजदूर संघ जैसे संगठनों की मदद भी ली जाएगी।

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