सीधी(देसराग)। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में पुलिस थाने से वायरल हुई एक तस्वीर ने पुलिस के कामकाज पर सवाल उठा दिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर में कुछ युवक अर्धनग्न नजर आ रहे हैं। इनमें एक पत्रकार और कुछ रंगकर्मी हैं। इस तस्वीर के वायरल होने के बाद प्रदेश की राजनीति में भी गर्मी आ गई है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर के साथ कहा जा रहा है कि भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ कनिष्क तिवारी ने यूट्यूब पर कुछ खबरें प्रसारित की थी। इससे नाराज विधायक शुक्ला ने सीधी पुलिस पर दबाव बनाकर कनिष्क तिवारी और उनके कुछ साथियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस का इस मामले में कहना है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया वह फर्जी आईडी के सहारे भाजपा सरकार और विधायक के खिलाफ खबरें प्रसारित करते हैं। तस्वीर में दाएं से बाएं सबसे पहले खड़े कनिष्क तिवारी बघेली में एक ही यूट्यूब चैनल चलाते हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि उनके चैनल के सवा लाख सब्सक्राइबर हैं।
इस पूरे घटनाक्रम अमिलिया थाने की पुलिस कटघरे में आ गई है। थाना प्रभारी अभिषेक सिंह फोटो को खींचा है, उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कनिष्ठ तिवारी से नाराज थे। नाराजगी की वजह कुछ समय पहले शिवसेना द्वारा अमिलिया थाने का घेराव किया जाना है। जिसका कवरेज कनिष्क तिवारी ने किया था। बहरहाल थाना प्रभारी अभिषेक सिंह इस पूरे मामले में मीडिया के सामने यह सफाई देते नजर आते हैं कि यह तस्वीर आरोपियों के परिजनों अथवा दोस्तों ने सोशल मीडिया पर वायरल की है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस लॉकअप में बंद आरोपियों के कपड़े उतरवा लेती है। लेकिन उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि इस तरह की तस्वीर को सोशल मीडिया पर वायरल करना क्या कानूनन है।
बता दें कि पुलिस एक्ट, जेल मैनुअल और लॉकअप मैनुअल के अनुसार पुलिस किसी भी आरोपी को सुरक्षा की दृष्टि से जब अभिरक्षा में लेकर लॉकअप में बंद करती है तो कस्टोडियल डेथ से बचने के लिए इस तरह के सुरक्षात्मक उपाय करती है लेकिन उन्हें इस तरह अर्धनग्न अवस्था में फोटो खींचकर अपमानित करने के लिए सार्वजनिक नहीं किया जाता है। यह किसी भी भारतीय नागरिक की निजता और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। वरिष्ठ अधिवक्ता सोमेश्वर सिंह का कहना है कि यह सरासर मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इस मामले में जांच होनी चाहिए ताकि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो सके। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने एक बयान जारी कर इस घटना की निंदा की है। इसका असर यह हुआ है कि थाना प्रभारी अभिषेक सिंह को लाइन अटैच कर दिया गया है और उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने इस घटना को निंदनीय ठहराया है।
क्या कहा पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने
विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सीधी पुलिस द्वारा पत्रकार कनिष्क तिवारी के साथ किये गए अमानवीय व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि पुलिस का यह व्यवहार न केवल पुलिसिया आतंक को दर्शाता है बल्कि प्रदेश की भाजपा सरकार की मीडिया के प्रति उसकी सोच को भी प्रदर्शित करता है| अजय सिंह ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने अपराध किया है तो उसकी सजा के लिए संवैधानिक व्यवस्थाएं हैं जिनके माध्यम से अपराध करने वाले व्यक्ति को सजा दी जाती है| लेकिन सीधी में एक पत्रकार के कपड़े उतरवाकर उसके फोटो वायरल कर उसके साथ जो अमर्यादित व्यवहार किया गया उससे पुलिस का वास्तविक और गैरजिम्मेदाराना चेहरा सामने आया है | अजय सिंह ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से यह साबित होता है कि प्रदेश सरकार पुलिस के माध्यम से मीडिया साथियों पर दहशत का वातावरण निर्मित कर अपनी मर्जी चलाना चाहती है |