ग्वालियर (देसराग)। चंबल एक बार फिर बागियों का इतिहास दोहरा रहा है। करीब 50 साल पहले जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से यहां डकैतों ने हथियार डाले थे। इस ऐतिहासिक घटना की याद में बागी समर्पण दिवस मनाया जा रहा है। इस दौरान 14 से 16 अप्रैल तक देश भर से गांधीवादी और विचारक जौरा(मुरैना) कि महात्मा गांधी सेवा आश्रम में जुटेंगे। बागी समर्पण दिवस का मकसद समाज में अहिंसा का संदेश देना है।
करीब 50 साल पहले गांधीवादी स्वर्गीय सुब्बाराव और राजगोपाल के प्रयासों से बड़ी संख्या में डकैतों आत्मसमर्पण कर अहिंसा के रास्ते पर चलने और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की शुरुआत की थी। हालांकि इनमें से कुछ आत्मसमर्पित दस्यु अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन जो बचे हैं वे भी इस आयोजन में शिरकत करेंगे। तीन दिनों के इस आयोजन में आत्मसमर्पित दस्युओं को सम्मानित भी किया जाएगा। महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा से जुड़े गांधीवादी नेता राजगोपाल ने बताया कि सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर होंगे। इसके अलावा जल पुरुष राजेंद्र सिंह, चिंतक सुधीर कुलकर्णी, पर्यावरणविद वंदना शिवा, राष्ट्रीय आदिवासी मोर्चा के निकोलस बार्गा, समाजसेवी राजेश टंडन और बनवासी सेवा आश्रम से विभो प्रेम भी शिरकत करेंगे। इसके साथ ही देशभर से करीब 1000 लोग इस आयोजन में हिस्सा ले रहे हैं।
राजगोपाल बताते हैं कि हम चाहते हैं कि आत्मसमर्पण की घटना, महज घटना बन कर ना रह जाए। इस आयोजन के पीछे मंशा है कि समाज में अहिंसा का संदेश जाए।
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