मध्य प्रदेश के सीधी जिले में लॉकअप में पत्रकार और रंग कर्मियों की वायरल हुई अर्धनग्न तस्वीरें चर्चाओं में रहीं। पूरे घटनाक्रम के पीछे का सच क्या है, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार सोमेश्वर सिंह
देवकीनंदन खत्री के तिलस्मी उपन्यास “चंद्रकांता संतति” से भी ज्यादा क्लिष्ट कथानक बघेली न्यूज़ चैनल के संस्थापक कनिष्क तिवारी के तिलिस्म का है। आज उन्होंने अपने सोशल अकाउंट में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा गृहमंत्री पर भरोसा जताते हुए कहा है कि-” एमपी मुख्यमंत्री गृहमंत्री पर पूरा भरोसा है सबको न्याय देते हैं तो मुझ पत्रकार को भी न्याय मिलेगा मुख्यमंत्री”। और यही कनिष्क तिवारी 2 अप्रैल की रात सिटी कोतवाली के सामने धरना स्थल पर बैठे हुए रंगकर्मियों के साथ मुख्यमंत्री मुर्दाबाद, भारतीय जनता पार्टी मुर्दाबाद का नारा लगा और लगवा रहे थे। इसीलिए हमारे बघेली में एक कहावत कही गई है-” पूतय गारी देय, बापय साख भराबय”।
दो-तीन अप्रैल की दरमियानी रात के 18 घंटे के पुलिस प्रताड़ना का हाल कनिष्क तिवारी स्वत: बयां कर चुके हैं। जमानत पर छूटने के 72 घंटे बाद भी भयभीत कनिष्क तिवारी खामोश थे। क्योंकि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के पुलिस प्रताड़ना से टूट चुके थे। किसी भी व्यक्ति दल अथवा संगठन ने उनके समर्थन में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। आखिर क्यों? और जैसे ही उनके पुलिस अभिरक्षा के दौरान खींची गई अर्ध नग्न तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हुई देशभर में मीडिया जगत से लेकर कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया आने लगी। पहली प्रतिक्रिया पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की थी। उन्होंने बाकायदा सोशल मीडिया के साथ समाचार पत्रों में अपना बयान जारी करके व्यक्त किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्विटर हैंडल में इस घटना की निंदा की।
यह भारत के मीडिया जगत और सशक्त विपक्षी दल कांग्रेस का कमाल है की बघेली चैनल के एक गुमनामी पत्रकार कनिष्क तिवारी रातों-रात देशभर में चर्चित हो गए। इसी दबाव के चलते पहले तो टीआई और थानेदार को लाइन अटैच किया गया और बाद में निलंबित करके उच्च स्तरीय जांच का आदेश देना पड़ा। मौजूदा सरकार से यदि कनिष्क तिवारी न्याय की उम्मीद करते हैं तो यह बेमानी है। कहा जाता है कि घटना की रात कनिष्क तिवारी से खुन्नस खाए अमिलिया थानेदार के साथ शराब व्यापार से जुड़ा एक व्यक्ति भी था। जिसने मोबाइल में फोटो खींची थी और उसी ने वायरल भी किया। बघेली में ही एक कहावत और है-” घुसा कमंडल…… में भूल गए बैराग”। और जब अटका हुआ बेल निकल जाता है, तो ऐसा ही होता है।
दरअसल इस घटना के दो एपिसोड हैं। पहला रंगकर्मी नीरज कुंदेर का। सीधी के वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला के पुत्र गुरुदत्त शरण शुक्ल ने 2 महीने पहले कोतवाली सीधी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी की अनुराग मिश्रा नाम के किसी व्यक्ति के द्वारा फेसबुक में उनके तथा उनके पिताजी पर अपमानजनक, चारित्रिक रूप से लांछित करने वाली सामग्री पोस्ट की जा रही है। पुलिस ने जांच की और यह पाया कि रंगकर्मी नीरज कुंदेर फर्जी नाम से अपने आईडी पर इसे संचालित कर रहे हैं। लिहाजा पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जिसके विरोध में सीधी के रंगकर्मी कोतवाली सीधी में धरना दे रहे थे। कनिष्क तिवारी का कहना है कि वह पत्रकार की हैसियत से कवरेज करने गए थे। लेकिन पुलिस के अनुसार वे धरने में शामिल थे, धरने का नेतृत्व कर रहे थे, सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी करा रहे थे।
क्योंकि मामला फर्जी फेसबुक अकाउंट का था। जो साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए किसी भी दल, संगठन या व्यक्ति ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया और ना ही सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया दी। कनिष्क तिवारी तथा रंगकर्मियों की गिरफ्तारी और जमानत के तीन चार दिन बाद सोशल मीडिया में उनकी अर्धनग्न तस्वीर वायरल होते ही घटना का दूसरा एपिसोड शुरू हो गया। और इसी के चलते कनिष्क तिवारी को सहानुभूति तथा समर्थन मिलने लगा। दूसरे एपिसोड के नीचे पहला एपिसोड दब गया। दोनों के इस घालमेल से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
नये घटनाक्रम में सीधी विधायक पुत्र गुरुदत्त शरण शुक्ला ने एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ साक्षात्कार में जनसंपर्क कार्यालय सीधी से प्राप्त सूचना का हवाला देते हुए कहा कि कनिष्क तिवारी कोई पत्रकार नहीं है। वे फर्जी पत्रकार हैं और दुर्भावना से प्रेरित होकर उनके विधायक पिता तथा उन्हें टारगेट करके बेबुनियाद और भ्रामक खबरें प्रसारित कर रहे हैं। चूंकि पिताजी भाजपा के विधायक हैं तथा प्रदेश में भाजपा की सरकार है, इसीलिए कांग्रेस पार्टी कनिष्क तिवारी को संरक्षण दे रही है। जिसकी आड़ में रंगकर्मी नीरज कुंदेर के द्वारा साइबर क्राइम के कृत्य को अनदेखा किया जा रहा है। एक भारतीय नागरिक होने के नाते उन्हें भी कनिष्क तिवारी के वायरल अर्धनग्न तस्वीर की तरह अपने मान सम्मान की रक्षा करने का मौलिक अधिकार है।
इस पूरे घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी का स्थानीय संगठन, उनके पदाधिकारी तथा निर्वाचित जनप्रतिनिधि घटना के एक सप्ताह बाद भी खामोश है। उनकी तरफ से पक्ष विपक्ष में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आखिर क्यों? जबकि देश का समूचा मीडिया मध्य प्रदेश सरकार के प्रेस तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति आचरण को लेकर कटघरे में खड़ा कर रहा है। कनिष्क तिवारी पत्रकार है या नहीं यह गौण है। क्योंकि वे भारत के एक साधारण नागरिक हैं। और किसी भी नागरिक को मान सम्मान तथा मानवाधिकार प्राप्त है। अभिरक्षा से वायरल उनकी अर्धनग्न तस्वीर चिंता का विषय है।
दरअसल सीधी जिला के भारतीय जनता पार्टी में सीधी के वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। जिसका श्री शुक्ल के बराबर जनाधार हो। यद्यपि दावेदार कई हैं। जो किसी तरह से सीधी विधायक को ट्रैक से बाहर करना चाहते हैं। सीधी जिले का यह समूचा घटना चक्र भारतीय जनता पार्टी के गलाकाट आंतरिक प्रतिस्पर्धा का परिणाम है । रंगकर्मी नीरज कुंदेर तथा पत्रकार कनिष्क तिवारी तो सिर्फ मोहरे हैं।
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