भोपाल (देसराग)। प्रदेश में बाल लिंगानुपात को सुधारने के लिए 6 साल में सरकार ने 13 करोड़ रूपए खर्च किए हैं, लेकिन उसके बाद भी मप्र पड़ोसी राज्यों से पीछे है। बाल लिंगानुपात में मप्र देशभर में 19वें पायदान पर है। मप्र में पांच साल में बाल लिंगानुपात में सिर्फ 13 अंकों का सुधार हुआ है। वहीं हमारे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 31 अंकों का तो राजस्थान में 15 अंकों का सुधार हुआ है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआइएस) की रिपोर्ट पर नजर दौड़ाएं तो मप्र में वर्ष 2014-15 से 2020-21 के बीच बाल लिंगानुपात में सिर्फ 13 अंकों का ही सुधार आया है। वर्ष 2014-15 में प्रत्येक एक हजार बालकों पर 926 बालिकाएं जन्म लेती थीं, वहीं वर्ष 2020-21 में ये आंकड़ा 939 तक ही पहुंच पाया। हालांकि कई ऐसे भी राज्य हैं जहां पांच साल के दौरान बाल लिंगानुपात और भी खराब हुआ है।
प्रदेश के 42 जिले योजना में है शामिल
केंद्र सरकार की बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ योजना में देशभर के 405 जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों और क्षेत्रों को नीति आयोग द्वारा चिह्नित किया गया। इस योजना में सबसे अधिक 68 जिले उप्र से तो इसके बाद 42 जिले मप्र के हैं। इनमें मुरैना, ग्वालियर, भिण्ड, दतिया, रीवा, टीकमगढ़, शिवपुरी, श्योपुर, छतरपुर, इंदौर, सतना, गुना, नरसिंहपुर, सीहोर, सीधी, पन्ना, देवास, होशंगाबाद, राजगढ़, शाजापुर, भोपाल, अशोकनगर, सिंगरौली, जबलपुर, बुरहानपुर, सागर, विदिशा, मंदसौर, नीमच, धार, दमोह, उज्जैन, पूवी निमाड़, पश्चिमी निमाड़, रतलाम, कटनी, झाबुआ, उमरिया, बड़वानी, सिवनी, अनूपपुर शामिल हैं।
आंकड़ों में मप्र की स्थिति बेहतर हुई
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आंकड़ों में प्रदेश में हुई प्रगति की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। हाल ही में जारी आंकड़ों में प्रदेश ने वर्ष 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के मुकाबले अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एनएफएचएस-5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5) वर्ष 2020-21 के जारी आंकड़ों में प्रदेश में 5 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों में सभी प्रकार के कुपोषण की दरों में कमी आई है। प्रदेश में एनएफएचएस-4 वर्ष 2015-16 की तुलना में सर्वे-5 में राष्ट्रीय औसत से भी अधिक सुधार हुआ है।
छह साल में मप्र को केंद्र से मिले 37.94 करोड़
घटते बाल लिंगानुपात, बालिकाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए केंद्र से मप्र सरकार को वर्ष 2015-16 से वर्ष 2020-21 तक कुल 37.94 करोड़ रुपए मिले हैं। हालांकि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक इसमें से 13.07 करोड़ रुपए ही खर्च हो सके। वर्ष 2020-21 में ही 11.11 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए।
कम वजन श्रेणी में सुधार में प्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर
कम वजन श्रेणी में सुधार में प्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। देश में 10.3 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि मध्यप्रदेश में 22.9 प्रतिशत का सुधार हुआ है। पूर्व में एनएफएचएस-4 में प्रदेश 33वें स्थान पर था, अब 31 वें स्थान पर आ गया है। इस प्रकार 2 स्थान का सुधार हुआ है। ठिगनेपन में अधिकतम सुधार करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश छठवें नंबर पर हैं। देश में 7.8 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि प्रदेश में 15 प्रतिशत का सुधार हुआ है। पूर्व में एनएफएचएस-4 में प्रदेश 32वें स्थान पर था, जो अब 30 वें स्थान पर आ गया है। प्रदेश की रैंकिंग में 2 स्थान का सुधार हुआ है।
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