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Monday, Oct 2, 2023
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100 साल पुराना बंगला, जहां कोई नहीं रह सका वहां मल्टी बनाने की तैयारी!

भोपाल(देसराग)। भोपाल में बने महापौर के ऐतिहासिक बंगले को तोड़कर नगर निगम के अफसर अब बहुमंजिला इमारत बनाने की तैयारी में है, जिसे लेकर पूर्व महापौर और इतिहासकारों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इसकी जगह इस बिल्डिंग को सहेज कर हेरिटेज बनाना चाहिए।
बंगले को तोड़कर बनाई जाएगी बिल्डिंग
नगर निगम के खेल भी निराले होते हैं, ताजा मामला भोपाल के बड़े तालाब के पास बने महापौर निवास का है। 100 साल से भी अधिक पुरानी इस हेरिटेज इमारत को तोड़कर अब अफसर यहां पर आलीशान इमारत बनाने की तैयारी में हैं। दरअसल बड़े तालाब पर स्थित कर्बला के पास कोहेफिजा की तरफ पुराना महापौर निवास है, जिसे 1920 में यहां की बेगम ने अंग्रेजों के ठहरने के लिए बनवाया था, लेकिन इस बंगले में महापौर सुनील सूद के अलावा कोई नहीं रहा। जिसके बाद से यह बंगला ऐसे ही खाली पड़ा है।
इसलिए बनाई जा रही मल्टी
नगर निगम के चुनाव नहीं होने के कारण ना ही कोई महापौर है और ना ही कोई पार्षद। ऐसे में नगर निगम के अफसर ही अब निर्णय लेते हैं, जिसके चलते इस साल के बजट में अफसरों ने इस बंगले को तोड़कर तीन 12 मीटर ऊंची मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में बनाने का प्रावधान कर दिया है लेकिन खास बात यह है कि इन इमारतों का इस्तेमाल कमर्शियल या अन्य गतिविधियों के लिए नहीं बल्कि निगमकर्मियों के आवास के लिए बनाया जाएगा।
नगर निगम जो करें वह सबसे अलग
पुरातत्वविद और पूर्व महापौर भी विरोध कर रहे हैं। भोपाल की पूर्व महापौर रही विभा पटेल कहती हैं कि वह भले ही इस बंगले में नहीं रहीं क्योंकि उन्हें दूसरा बंगला अलॉट था और तब यह बंगला नगर निगम के हैंड ओवर भी नहीं था लेकिन किसी पुरातात्विक इमारत को तोड़कर निगम के अफसर जो मल्टी बना रहे हैं वह गलत है। इसका संरक्षण करना चाहिए।
इसलिए बंगले में नहीं रहना चाहता था कोई महापौर
इतिहासकार रिजवान कहते हैं कि इस स्थान को पहले अंग्रेजों के ठहरने के लिए बनवाया गया था। धीरे-धीरे बाद में जिस तरह से भोपाल नगर निगम की स्थापना हुई उसके बाद इसे वेयरहाउस के लिए आवंटित किया गया, लेकिन इसमें सुनील सूद के अलावा कोई भी महापौर नहीं रहा। इसके पीछे यह माना जाता रहा है कि इस बंगले में जो ठहरता है वह अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाता और दोबारा किसी भी पद पर नहीं रह पाता। इतिहासकार रिजवान कहते हैं कि इस इमारत को तोड़ने की जगह इसे हेरिटेज स्थान बना देना चाहिए, जिसे लोग भोपाल की पहचान बता सकें।

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