मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा की मोदी को चुनौती?
भोपाल(देसराग)। मप्र के सूक्ष्म और लघु उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा के पुत्र हैं। उन्होंने परिवारवाद की परिभाषा समझाते हुए नेता पुत्रों को चुनाव में टिकट देने की पैरवी की है। मप्र सरकार के मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा भाजपा आलाकमान के फैसले से अलग नेतापुत्रों को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। सखलेचा इस मामले पर पार्टी को ही परिवारवाद की परिभाषा समझाने लगे हैं। परिवारवाद और नेता पुत्रों को चुनाव में टिकट देने की पैरवी करने वाले बयान पर कांग्रेस ने उन्हें घेरा है। कांग्रेस ने कहा है कि अब तो भाजपा के नेता ही मोदी जी से फैसले को चुनौती देने लगे हैं।
परिवारवाद पर कांग्रेस को घेरती रही है भाजपा
हाल ही में भाजपा की संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पार्टी में पारिवारिक राजनीति की इजाजत नहीं दी जाएगी। भाजपा दूसरी पार्टियों से अलग है, जो अन्य पार्टियों में वंशवाद की राजनीति को मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। परिवारवाद के मुद्दे पर भाजपा अक्सर कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों को घेरती रही है। भाजपा यह भी दावा करती रही है कि उनकी पार्टी में परिवारवाद नहीं है, लेकिन मीडिया से बात करते हुए पार्टी के नेता परिवारवाद का समर्थन कर डाला है।
समझनी होगी परिवारवाद की परिभाषा
सखलेचा ने कहा है कि परिवारवाद की परिभाषा को समझना होगा। जिनके परिवार पिछले पांच-सात सालों से राजनीति में सक्रिय न हों, और जिसने जमीन पर कोई काम नहीं किया हो उसे सीधे मौका नहीं मिलना चाहिए। लेकिन ऐसे कई नेता हैं जिनके बच्चे फुलटाइम काम कर रहे हैं तो क्या आप केवल इसलिए उनका नाम काटना चाहते हैं कि वे परिवारवाद को आगे बढ़ा रहे हैं। सखलेचा ने गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय के बेटों का नाम लेते हुए कहा कि जो पार्टी के लिए सक्रिय होकर काम कर रहे हैं, उनका भी अधिकार है कि उन्हें चुनाव में मौका मिले। जो रुटीन में काम कर रहे हैं, उनका भी अधिकार है, उनका भी सामान्य नागरिकों की तरह अधिकार है।
मोदी के फैसले को खुली चुनौती
ओमप्रकाश सखलेचा के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है कि प्रदेश के पूर्व सीएम के बेटे, शिवराज सरकार के वर्तमान मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा मोदीजी के परिवारवाद के निर्णय को खुली चुनौती दे रहे हैं। इनके मुताबिक नरेन्द्र तोमर, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र परिवारवाद की श्रेणी में नहीं आते। सलूजा ने सवालिया अंदाज में कहा तो क्या फिर स्वर्गीय नंदू भैया, प्रभात झा, शिवराज के पुत्र ही परिवारवाद की श्रेणी में आते हैं? परिवारवाद की परिभाषा प्रदेश में भाजपा अपने हिसाब से गढ़ रही है और नरेंद्र मोदी को खुली चुनौती दे रही है।
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