सोमेश्वर सिंह
देशभर में रामनवमी के जलसा जुलूस के शौर्य प्रदर्शन से उत्साहित संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हरिद्वार में कहा की आगामी 15 साल में अखंड भारत बन जाएगा और जो इसके रास्ते में आएंगे मिट जाएंगे। देश के कई राज्यों में पिछले दिनों “आ बैल मुझे मार” की तर्ज पर मुस्लिम बाहुल्य आबादी के रास्ते रामनवमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली गई। धार्मिक उन्माद फैलाया गया। तोड़फोड़ हुई। कहीं-कहीं पथराव और आगजनी भी हुई। दंगा रोकने में असफल मध्य प्रदेश सरकार ने दंगाइयों के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। दंगाइयों का काम सुनियोजित और सुसंगठित तरीके से अब सरकार करने लगी है। बुलडोजर चलाने से दंगा नहीं रुकने वाला इसे रोकने के लिए ईमानदारी और दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी पड़ेगी। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना पड़ेगा। लेकिन सरकार को यह सब करना नहीं है आगामी वर्ष विधानसभा चुनावों की कवायद चल रही है।
राम जन्म के बाद आज राम की छठ पूजा तथा हनुमान जयंती थी। शहर में चारों तरफ हनुमान चालीसा का पाठ चल रहा था। महाराष्ट्र में भाजपा नेता मोहित कंबोज हनुमान जयंती पर मंदिरों में फ्री लाउडस्पीकर बांट रहे थे। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने तो महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम ही दे दिया है कि यदि ईद तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाया गया तो ठीक नहीं होगा। मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई में शिवसेना पार्टी कार्यालय के सामने लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। वही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के मुस्लिम नेता अब्दुल मतीन लेखानी कहते हैं कि हमें छेड़ेंगे तो हम छोड़ेंगे नहीं।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी ने तो व्यक्तिगत स्तर पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं तथा नेताओं से हनुमान जयंती मनाने का निर्देश दिया था। जिसका कांग्रेस पार्टी ने अक्षरशः से पालन किया। धार्मिक अनुष्ठान के घुड़दौड़ की इस प्रतिस्पर्धा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा बीजेपी आगे निकल जाएगी। कांग्रेस को फिसड्डी ही रहना है।
इस तरह के धार्मिक अनुष्ठानों में मेरी व्यक्तिगत कोई रुचि नहीं है। परंतु करता क्या जब संकट से उबरने का कोई रास्ता नहीं दिखाई देता तभी व्यक्ति इस तरह के अनुष्ठानों पर, धार्मिक कर्मकांडों पर यकीन करने लगता है। यह मानवीय कमजोरी होना स्वाभाविक है। सुबह-सुबह स्नान करके मैंने भी मनोयोग से हनुमान चालीसा का पाठ किया। हनुमान चालीसा में एक पंक्ति है-
“संकट कटे मिटे सब पीरा,
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा।”
शाम को झोला लेकर किराना और सब्जी लेने बाजार में निकला। नींबू वाली नियमित चाय पीता हूं। नींबू का बाजार भाव यह था कि ₹10 में एक नींबू। सोचा जब ₹10 में चाय ही मिलती है तो फिर नींबू वाली चाय क्यों। करेला 80 रुपए किलो, भिंडी रूपये 60 किलो। सब्जी वाले से पूछा भैया नींबू क्यों इतना महंगा है। वह कहने लगा जानते नहीं रामनवमी के व्रत में नींबू की मांग बढ़ गई थी। इसलिए महंगा हो गया है। मैंने कहा रामनवमी तो बीत गई। वह बोला आज भगवान राम की छठ के साथ हनुमान जयंती है। मैं पशोपेश में पड़ गया कि हमारे हिंदू मैथोलॉजी में इतने भगवान हैं कि हर दिन किसी न किसी की जयंती होती है। और जब तक भगवान की जयंती होती रहेगी तब तक यह महंगाई भी बढ़ती रहेगी। हमारे देश की धर्मभीरु जनता भगवान के नाम पर 50 रुपए का भी एक नींबू मिलेगा तब भी खरीदेंगे। क्योंकि उन्हें नींबू पानी के साथ व्रत तोड़ना है। तभी मोक्ष मिलेगा।
महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी की मार से विकलांग भारत को लेकर हम अखंड भारत की परिकल्पना कर रहे हैं। संघ प्रमुख के कथनानुसार यदि अखंड भारत बन भी गया तो उसका स्वरूप क्या यही होगा। दुनिया के पैमाने पर सर्वेक्षण के बाद जो आंकड़े आ रहे हैं उससे हम या हमारी सरकारें चिंतित नहीं है। भुखमरी अर्थात हंगर इंडेक्स में हम फिसड्डी हैं। विकासशील देशों की सूची से बाहर कर दिए गए हैं। आर्थिक हालत खस्ता है। गरीबों की संख्या बढ़ रही है। प्रति व्यक्ति औसत आय घटी है। हमारे विकलांग अखंड भारत का पौरुष क्या यही होगा। भारत के पड़ोस में महगाई तथा आर्थिक संकट के कारण पाकिस्तान तथा श्रीलंका में सरकारों का पतन हो गया। लेकिन हमारे भारत में उल्टा है। सरकार मजबूत हो रही है। पतन जनता का हो रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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