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Tuesday, Sep 26, 2023
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विचार

ओ! त्रेता के राम, कलयुग में तुम कहां हो

सोमेश्वर सिंह
कानपुर 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बिंदु था। कानपुर के पास बिठूर में नाना जी राव पेशवा, तात्या टोपे ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को घुड़सवारी, तलवारबाजी और युद्ध कौशल की शिक्षा दी। अंग्रेजी हुकूमत से संघर्ष करते हुए सभी शहीद हुए। तात्या टोपे को गिरफ्तार करके 18 अप्रैल 1959 को फांसी पर लटका दिया गया। और ठीक 18 अप्रैल की मध्यरात्रि को मुझे कानपुर की पवित्र माटी को नमन करने का अवसर मिला। सुबह अखबारों से पता चला कि बीते दिन आरएसएस तथा विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में रामोत्सव कार्यक्रम संपन्न हुआ है। जिसमें साध्वी ऋतंभरा, संघ के भैया जी जोशी तथा राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष डॉ रामविलास वेदांती ने अपने अपने उद्बोधन में जहर उगला है।
यह वही कानपुर शहर है जहां 1924 में युवा कम्युनिस्ट नेताओं पर बोल्सेविज्म षड्यंत्र केस चला था। जिन पर अंग्रेज सरकार की संप्रभुता के खिलाफ सत्ता पलट का आरोप था। जिसमें कम्युनिस्ट नेता एस ऐ डांगे, शौकत उस्मानी, एसबी घाटे, मुजफ्फर अहमद, गुलाम हुसैन, रफीक अहमद शामिल थे। कानपुर षड्यंत्र केस ने देशभर में कम्युनिस्ट विचारधारा को प्रचारित प्रसारित करने में मदद की।
अंग्रेजों द्वारा भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को फांसी दिए जाने के उपरांत कानपुर में सांप्रदायिक हिंसा ने उग्र रूप ले लिया था। जिसे शांत करने के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी सड़क पर उतर आए थे। लेकिन दंगाइयों ने 25 मार्च 1931 को उनकी हत्या कर दी। इसी कानपुर शहर के फूलबाग स्थित कंपनी बाग में अंग्रेजों ने 133 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सामूहिक रूप से फांसी पर लटका दिया था। नाना साहब पेशवा के दीवान अजीमुल्ला खान ने भी इसी शहर में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। तथा संघर्ष करते हुए शहीद हो गए ।शायर, उर्दू के विद्वान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हसरत मोहानी के द्वारा दिया गया “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा सबसे पहले भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने असेंबली में बम फेंकते वक्त लगाया था। जो बाद में आजादी का तराना बन गया।
इसी कानपुर शहर के पास बिठूर में जहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने बचपन में युद्ध कौशल सीखा था। त्रेता युग में वही बिठूर ऋषि बाल्मीकि का आश्रम था। सीता माता ने इसी आश्रम में परित्यक्ता जीवन बिताया। लव कुश यहीं पैदा हुए। ओ मेरे त्रेता युग के मर्यादा पुरुषोत्तम राम कलयुग में तुम कहां हो। क्यों कि कलयुग में तुम्हारे तथाकथित राम भक्तों के रूप में असंख्य रावण पैदा हो गए हैं। जो तुम्हारे मर्यादाओं को तार-तार कर रहे हैं। रावण तो परम ज्ञानी था। उसने सीता माता का सिर्फ अपहरण किया था। किंतु उनके सतीत्व के पवित्रता को कभी कलंकित नहीं किया। लेकिन आज तुम्हारे कुछ भक्त रामनामी चादर ओढ़ कर नारियों के साथ दुष्कर्म कर रहे हैं। कुछ दुष्कर्म करने का सार्वजनिक ऐलान कर रहे हैं।
गुलाम भारत के जिस कानपुर में अंग्रेजों ने तात्या टोपे को जिस दिन फांसी दी, उसी तारीख 18 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने सरेआम भारत के संविधान तथा लोकतंत्र को फांसी पर लटकाए जाने का ऐलान कर दिया। साध्वी ऋतंभरा, भैया जी जोशी सहित राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष डॉ रामविलास वेदांती ने रामोत्सव कार्यक्रम को संबोधित किया। डॉ वेदांती ने कहा-” त्रेता में एक रावण था। आज रावणों की संख्या ज्यादा हो गई है। इसलिए उसका नाश करने के लिए गांव-गांव घर-घर में राम की आवश्यकता है”।
अभी हाल ही में डॉ वेदांती के पोते तथा शिष्य सीताराम दास ने रीवा में एक नाबालिक लड़की के साथ दुषकृत्य किया। जो अब जेल में है। आखिर तथाकथित राम भक्तों के घर में सीताराम दास जैसे रावण कैसे पैदा हो गए। जिनसे हिंदू नारी तक सुरक्षित नहीं है। बकौल भैया जी जोशी -“अब हर व्यक्ति की पहचान हिंदू से होना चाहिए” क्या हिंदू की पहचान सीताराम जैसे दुष्कर्म करने वाले संत से ही होगी? साध्वी ऋतंभरा की सलाह माने तो कोई जरूरी नहीं कि एक हिंदू जिन चार बच्चों को पैदा करेगा वह सभी पुरुष ही होंगे। यदि वह कन्याएं हुई तो उनके साथ क्या होगा। संघर्ष, त्याग, बलिदान और शहादत की, हे! कानपुर की पवित्र भूमि बचा सको तो बचा लो भारत का भविष्य।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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