तो मध्य प्रदेश कांग्रेस में हो सकते हैं कई बदलाव
भोपाल(देसराग)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मुखिया सोनिया गांधी को उम्मीद है कि जाने माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ही वह सहारा हैं जो कांग्रेस की डूबती नैया के तारणहार बन सकते हैं। शायद यही वजह है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में आने की संभावनाएं बनते ही प्रदेश कांग्रेस में कई बढ़े बदलावों के कयास लगने शुरू हो गए हैं। अलबत्ता प्रशांत किशोर का कांग्रेस के साथ आना कांग्रेस खासकर मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय कांग्रेस के क्षत्रपों को रास नहीं आ रहा है और अब यह माना जा रहा है कि उन्हें केन्द्रीय संगठन द्वारा प्रदेश की चुनावी रणनीति बनाने का भी काम दिया जा सकता है।
पीके को देश में दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही उन्हें हिमाचल, गुजरात, मप्र और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति का जिम्मा भी दिए जाने की संभावना बनी हुई है। मप्र में पीके को चुनावी रणनीतिकार बनाया जाएगा या नहीं इस मामले में फैसला इसी माह होने की संभावना जताई जा रही है। पीके कांग्रेस में आने की बात होने के बाद दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में बीते रोज इसी मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक व संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के बीच मंथन का पहला दौर हो चुका है।
अगर पीके को मप्र की जिम्मेदारी दी जाती है तो माना जा रहा है कि वे तत्काल ही मप्र को लेकर सक्रिय हो जाएंगे। इसके बाद उनके अपने हिसाब से ही चुनावी रोडमैप तैयार किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो फिर प्रदेश संगठन में भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। माना जा रहा है कि इसकी वजह से संगठन के साथ ही चुनावी तैयारी की जिम्मेदारी का दायित्व भी नए चेहरे को मिल सकता है। फिलहाल चुनावी तैयारियों को लेकर कमलनाथ द्वारा प्रदेश में राजनैतिक मामलों व चुनावी वचन पत्र के लिए समिति का गठन किया जा चुका है।
पौने दो सौ सीटों पर लगाएगी ताकत
कांग्रेस ने अब तय किया है कि वह प्रदेश की 230 में से महज 174 सीटों पर ही चुनाव में पूरा फोकस करेगी। यह वे सीटें है जहां पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं अधिक हैं। इनमें से बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 38 सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस प्रत्याशी कम मतों के अंतराल से हारे थे। इसके अलावा नाथ ने अपने चार पूर्व कांग्रेस अध्यक्षों के साथ की गई बैठक में विंध्य निमाड़ और ग्वालियर चंबल अंचल में भी ताकत लगाने का तय किया है। दरअसल इस बार कांग्रेस अपनी दम पर इतनी सीटें जीतना चाहती है कि चाहकर भी कोई उसकी सरकार बनने पर गिरा न सके।
इसी तरह उसके जिन विधायकों की क्षेत्र में पकड़ कमजोर हुई है, उन्हें आगाह कर दिया गया है कि इसके बाद भी अगर उनकी पकड़ मजबूत नहीं होती है तो फिर उनकी जगह किसी नए चेहरे को पार्टी टिकट देगी। यह निर्णय बीते रोज चार पूर्व प्रदेश कांग्रेस अघ्यक्षों के साथ कमलनाथ द्वारा की गई बैठक में लिया गया है। बैठक में कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी और अरुण यादव भी शामिल थे।
जमीनी मुद्दों पर रहेगा फोकस
इस अहम बैठक के बाद खासतौर पर आगे बड़े बदलाव नजर आ सकते हैं, जिसमें पार्टी में एक पद-एक व्यक्ति और युवाओं को आगे लाने के फार्मूले पर काम होगा। कांग्रेसी कार्यकर्ता जमीनी मुद्दों को लेकर मैदान में नजर आएंगे, जिनमें भाजपा की जनविरोधी नीतियां, बेरोजगारी व महंगाई को लेकर कांग्रेस जनता के बीच कांग्रेस संदेश देती नजर आएगी। पीके पूर्व में जिस तरह की चुनावी रणनीति तैयार करते रहे हैं, उसके अनुसार भाजपा की कमियां जनता तक पहुंचेंगे।
previous post