हो सकता है चार सह संगठन महामंत्रियों का ऐलान
प्रदीप भटनागर
भोपाल(देसराग)। भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानन्द शर्मा को अपने सहयोगी के रुप में चार सारथी मिल सकते हैं। इस बात का ऐलान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की समन्वय बैठक में होने की संभावना है। राजधानी के सियासी गलियारों में चल रही बयार पर भरोसा करें तो हितानन्द शर्मा के चार सारथियों के नामों पर इस बैठक में सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है, जिन्हें प्रदेश में भाजपा द्वारा बतौर सह संगठन महामंत्री के रुप में नियुक्ति दी जाना है। इनमें एक प्रदेश स्तर पर, जबकि तीन अंचलों के आधार पर बनाए जाने वाले अलग-अलग प्रांतों में तैनात किए जाएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की समन्वय बैठक इसी हफ्ते 26 अप्रैल को भोपाल में प्रस्तावित है। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी, सत्ता और संगठन के नेताओं से चर्चा करेंगे।
बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत संगठन के प्रदेश से जुड़े शीर्ष नेता और केन्द्रीय मंत्रियों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। बैठक में संघ संगठन के कार्यक्रमों की समीक्षा तो करेगा ही साथ ही भाजपा के लिए नए कार्यक्रम और लक्ष्य भी तय कर सकता है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब प्रदेश में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इसकी वजह से यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, जिसकी वजह से सभी की निगाहें इस पर लगी हुई हैं। इसके अलावा बैठक में खरगौन, रायसेन और सेंधवा में हुई सांप्रदायिक उन्माद की घटनाओं पर भी चर्चा होनी तय मानी जा रही है।
सत्ता और संगठन के कामों पर नजर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समय-समय पर भाजपा के साथ समन्वय बैठक कर सत्ता और संगठन के कामों पर चर्चा करता रहता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूरा जोर अंत्योदय और सामाजिक समरसता पर है। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते, प्रांत प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी, प्रांत कार्यवाह यशवंत इन्दापुरकर समेत अनुषांगिक संगठन के प्रमुख भी शामिल रहेंगे। उधर भाजपा में लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दृष्टि से गठित प्रांतों की व्यवस्था को लागू करने पर मंथन चल रहा है। यह नई व्यवस्था संभागीय संगठन मंत्रियों की व्यवस्था समाप्त किए जाने की जगह शुरू किया जाना प्रस्तावित है। दरअसल संगठन में निचले स्तर पर फीडबैक और समन्वय की व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए इस पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल भाजपा के सहसंगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के प्रदेश संगठन महामंत्री बनने के बाद से ही सह संगठन महामंत्री का पद भी रिक्त चल रहा है। इस पर पर नियुक्ति के लिए संघ द्वारा नए नाम पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही इस बात पर भी गंभीर मंथन हो रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तर्ज पर मालवा, महाकौशल और मध्यभारत प्रांत के अलग-अलग सह संगठन महामंत्री बना दिए जाएं। प्रदेश में सत्ता और संगठन पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुका है। इसके संकेत लगातार संगठन व सत्ता से मिल रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा संगठन द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे शताब्दी वर्ष के आयोजन को लेकर जो भी कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं, उन्हें चुनाव की दृष्टि से ही बनाया जा रहा है।
बेहतर समन्वय और संतुलन पर नजर
दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मप्र को अपनी संगठन व्यवस्था को तीन प्रांतों मालवा, महाकौशल और मध्य भारत में बांट रखा है। भाजपा में भी इसी तरह का प्रयोग करने पर गंभीरता से विचार रहा है। इसके पीछे संगठन का तर्क है कि इससे कार्यकर्ताओं में समन्वय बेहतर होगा। भाजपा के संगठन मंत्री निचले स्तर पर समन्वय बनाने और फीडबैक लेने का काम करते हैं। गौरतलब है कि पूर्व में भी भाजपा में दो सह संगठन महामंत्री पद की व्यवस्था रही है। माखन सिंह के संगठन महामंत्री रहते अरविंद मेनन और भगवत शरण माथुर सह संगठन महामंत्री हुआ करते थे। दोनों को अलग-अलग प्रांत भी आवंटित थे। इसके अलावा हर संभाग में एक संभागीय संगठन मंत्री हुआ करता था। इसके बाद एक से दो जिलों में संगठन मंत्री और संगठन सहायक काम करते थे। प्रभात झा जब अध्यक्ष थे, तब इनकी संख्या तीस के करीब हुआ करती थी पर धीरे धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई। इसके बाद अब पार्टी ने अब संभागीय संगठन मंत्री पद की व्यवस्था पूरी तरह से ही समाप्त कर दी है। इसकी वजह से अधिकांश हटठाए गए संभागीय संगठन मंत्रियों को निगम मंडल में एडजस्ट कर उन्हें मंत्री पद का दर्जा दिया जा चुका है।
जातीय और सामाजिक ताने-बाने पर फोकस
संगठन नेताओं का मुख्य फोकस सोशल इंजीनियरिंग पर बना हुआ है। इसके लिए अब सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ओर प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भी लगातार मैदान में मोर्चा संम्हाले हुए हैं। शिवप्रकाश इंदौर में महत्वपूर्ण कार्यकतार्ओं और समान विचारधारा वाले लोगों के साथ बैठकें ले रहे हैं तो प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव इसी हफ्ते राजधानी में सक्रिय रहेंगे और दक्षिण भारतीय समाज के लोगों के साथ बैठक करेंगे। यही नहीं संगठन भी सरकार के साथ मिलकर अपने स्तर पर लगातार आदिवासी और दलित वर्ग के सम्मेलन और कई तरह के आयोजन भी कर रही है।